...

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"स्थिर धर्म और अस्थिर मनुष्य सोच "
"स्थिर धर्म और अस्थिर मनुष्य सोच "
(Steady Immoral Knowledge of different Dharma's V/S Insecure Human perception and belief"

"ना कर फिक्र, हम मिट्ट जाएंगे ...
मिट्टना होता !! 🤔🧐
हम तब मिट्ट जाते ...
जब हमें, लिखने वाले आए थे !!

वक्त ⌚ वो भी कड़ा था ...
दुश्मन मिटाने वाला !!
तब भी खड़ा था ...🤔🧐
जब पहली बार,
हमें उन्होंने लिखा था !! ✍️📝 !!

"ना कर फिक्र, हम मिट्ट जाएंगे...

तब हम ज्ञान की केवल ...
इक क़िताब थे !!📙 !!
ना मानने वाले थे ...
ना जानने वाले थे !!
ना पढ़ने वाले थे ...
ना समझाने वाले थे !!

हर ओर, सिर्फ़ मिटाने वाले थे ...
हम ! उस दौर से भी, गुज़र आए है !!

"ना कर फिक्र, हम मिट्ट जाएंगे ...

ज्ञान ! तब भी ! हममें वही था ...
जब हम एक थे !! 📙🤲☝️ !!
आज भी वही है ...
जब हम अनेक है !! 📙📗📚 !!

हम ! तब भी ...
फैलने आए थे !! 💨💨⛈️ !!
और फैलते गए...
हम अब भी फैल रहे है,
और फैलते ही रहेंगे !!

"ना कर फिक्र, हम मिट्ट जाएंगे..

मिट्टना ! तो , ऐ इंसान ...
ये सिर्फ ! तेरी हस्ती है !!
क्योंकि ! हर पल, डोल रही ...
तेरे ! विश्वास की कश्ती है !! 🛶⛵ !!

हम ! जीने आए थे ...
और ! जीतें ही जाएंगे !!

ना कर फिक्र, हम मिट्ट जाएंगे !!
मिट्टना होता !! 🤔🧐 !!
हम तब मिट्ट जाते ...
जब हमें, लिखने वाले आए थे !!

सुखविंदर ✍️🌅✍️

(True knowledge is immoral and True belief is fearless and remains steady and imbibed within true knowledge)

© Sukhwinder

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