...

5 views

पत्र से खुलासा
#चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी। वह उस चिट्ठी के बारे में जानने के लिए उत्सुक हो रही थी, उसे शक हो रहा था
कहीं वो चिट्ठी वही तो नहीं है जो उसके
माँ बाबूजी ने भेजी थी और वो उसके पति ने
निकिता से छिपा ली थी। वह जानना चाह
रही थी कि उसमें ऐसा क्या लिखा था कि उसके पति ने छुपा लिया। उसे यकीं नहीं हो पा रहा था कि जिस आदमी के लिए वह अपने माता पिता घर परिवार को छोड़ कर आई थी आखिर वही आदमी उसे धोखा देने लगेगा। असल में निकिता के पति की असलियत माता पिता को पता लग चुकी थी और वह उनकी बेटी के साथ धोखा कर रहा है, ये बात निकिता को समझाना चाहते थे पर निकिता उसके झूठे प्रेम में अंधी हो चुकी थी इसीलिए माता पिता को चुपचाप पत्र भेजना पड़ा, पर ब्दकिसमती कि वो उसके पति के हाथ लग गया परंतु अंत में सुप्रिया को वो पत्र के बारे में पता चल गया तो उसने निकिता को बताया, अब उसे अपने किये पर पछतावा होने लगा, लेकिन कहते हैं न देर आये दुरुस्त आये, भले ही थोड़ी देर में अक्ल आई पर आ तो गई और उसने पति के गलत काम में साथ न देकर अपने माता पिता का साथ दिया। आखिर माता पिता से ज्यादा बच्चे का भला कौन समझ सकता है। इस कहानी से ये बात तो तय है कि हमसे ज्यादा दुनिया हमारे माता पिता ने देखी है, तजुर्बे में वो हमसे आगे ही रहेंगे। बाहर वालों की बातें न सुनकर हमे अपने घर के बड़ों से सलाह लेनी चाहिए।
© hemasinha