लघु कथा :बरगद बाबा
बुढ़ापा ज़िंदगी का वह दौर है जिसे हम अपनी पूरी जीवन यात्रा का सार कह सकते हैं। घर के बुज़ुर्ग गुणों, अनुभवों, और ज्ञान की उस पोटली की तरह होते हैं, जो किसी ख़ज़ाने से कम नहीं होती। बुढ़ापा सिर्फ़ इंसानों में ही नहीं, बल्कि प्रकृति में भी दिखाई देता है। इसी सत्य पर आधारित है आज की यह कहानी।
गाँव है सरगुणापुर। यूँ तो यह एक छोटा सा गाँव है, मानचित्र पर जैसे इसका अस्तित्व ही नहीं है। यहाँ तक पहुँचने के लिए ट्रेन से कई किलोमीटर की यात्रा तय करने के बाद भी, अगर किस्मत अच्छी हो तो तांगा मिल जाए, तब यहाँ पहुँचना संभव है। इस गाँव की अगर कोई चीज़ प्रसिद्ध है, तो वह है एक बूढ़ा बरगद का पेड़। लोग इसे प्यार से 'बरगद बाबा' कहते हैं। यह बाबा अपने विशालकाय शरीर के साथ-साथ पीढ़ी दर पीढ़ी...
गाँव है सरगुणापुर। यूँ तो यह एक छोटा सा गाँव है, मानचित्र पर जैसे इसका अस्तित्व ही नहीं है। यहाँ तक पहुँचने के लिए ट्रेन से कई किलोमीटर की यात्रा तय करने के बाद भी, अगर किस्मत अच्छी हो तो तांगा मिल जाए, तब यहाँ पहुँचना संभव है। इस गाँव की अगर कोई चीज़ प्रसिद्ध है, तो वह है एक बूढ़ा बरगद का पेड़। लोग इसे प्यार से 'बरगद बाबा' कहते हैं। यह बाबा अपने विशालकाय शरीर के साथ-साथ पीढ़ी दर पीढ़ी...