...

3 views

#शिक्षा और नेता #आजादी
"जय हो सरकार ! आपको कब से मिलना चाहता था ,पर थोड़ा बिझी हो गया था ।" - हाथ पांव जोडकर मास्टर जी ,बिना पुछे ही नेताजी से कहने लगा । कदाचित खुलासा करने लगा क्योंकि उसे पता था, कि इधर पांवों में गिड़गिड़ाये नहीं तो तबादला तय हो जायेगा । कर्मयोगी भले कहलाते हैं , कामचोरी भी तो करते हैं ...! उपर से मौका मिलते ही भ्रष्टाचार ; इतना ही नहीं बल्कि नेताजी का नाम लेकर कईयों को डराना - धमकाना भी तो करते हैं !
वैसे भी आज मन नहीं था नेताजी से मिलनेका , लेकिन मजबुरी थी ,कि स्कूल में अगले दिनों में इन्पेक्शन होने वाला है ...लेकिन यह पुरे साल पेटभर तनख्वाह ली जरूर थी परंतु टेबल पर पैर पसारकर सोने के सिवा कोई ठोस काम नहीं किया था ! सब्जियाँ बच्चों से मंगवाना- छीलवाना ,पैर दबवाना और मध्याह्न भोजन का जायका लूंटना ! कोई नेताजी की रैलियों और हडताल में भीड़ जुटाने का प्रबंध करना तथा सरकारी कार्यों के फर्जी कागजात समय पर पहुंचाना...आदि आदि महान कार्य बिनचुक करता रहता । सरकार ने भी शिक्षक को परचुरण काम सौपकर चपरासीनूमा "मास्टर" ही बना दिया है । यह मास्टर और नेता यानी (सरकार) - दोनों को ही राश आ गया है ।

नेताजी ने इतराकर एक सरासर नजर डाल ली लेकिन उत्तर नहीं दिया । *बेटा आज हाथ में आया है ...तेरे मजा लेता हूँ '- मन ही मन सोचकर नजर हटा ली ।दूसरे ...पार्टी कार्यकर्ताओं को जरूरी मशवरा देने लगा । कुछ बेवजह धमकियाँ और उपर से गालियाँ भी दी, ताकि सूनने वाला दूसरे चार ईमानदार को इस नेताजी के कडप का मैसेज पहूँचा दे ।उपस्थित लोगों की भीड़ से मास्टर जी थोडे -आगा पीछा हो लिये ! कहीं उनका नंबर ना लग जाये यही सोचकर ! मास्टर जीने जडवत् दिमाग पर जोर डालकर नया आईडिया आविष्कार कर लिया । नैताजी को खुश करने के लिए घांसु तरीका है .....फंड इकट्ठा करके भव्य पार्टी रखकर भीड़ जुटाना और माईक हाथों में थमा देना !
मास्टर जी की ईसमे भी मास्टरी थी । बच्चों को धमकी देकर अपने मां बाप को भी स्कूल में बुलाने का प्रावधान कर लिया । खाने का लालच और नेताजी नयी योजना देंगे -का लालच बताया , उपर से नहीं आनेवालों के बी.पी.एल. बंध करवाने की धमकी भी दी ।
इस के अलावा सच तो यह है कि सारी दूनिया में व्यवस्था के नाम पर हर शासक 'लाभ का लोभ' और 'नुकसान का डर'- बताकर शासन कर रहे है । वाकई यह सब जानने के बावज़ूद प्रजा इसमें फंसती रहती है ।
अब लोगों की भीड़ कम हो गयी थी । नेताजी उठे और मास्टर जी के कंधे पर हाथ रखते हुए बले -"गुरूजी माफ करना ! मैं थोड़ा बिझी था ....! तो आपका किमती समय बिगाड दिया !!...बोलिये क्या सेवा चाहिए ,..हमसे ...? बोलो तो दूसरा कमरा बनवा दूं ..?! आप कमायेंगे तो हमें भी मिलेगा और नहीं तो हम भी भूखो मरेंगे !! "कहते हुए ठहका मारकर हंसने लगे और एक कोने में ले गये !
कुछ देर फुसफुसाने के बाद लौटे तो दोनों खुश -खुशहाल थे ।
कई दिनों के बाद एक आलिशान भवन का निर्माण होने लगा, वास्तव में जिसकी जरूरत ही नहीं थी । देखते ही देखते मकान तैयार हो गया ।ओर भी कुछ दिन बित गये ।
एक दिन फिर से खुश खुशहाल होकर मास्टर जी चमकता मल्टीकलर कार्ड लेकर नेताजी की ओफिस में प्रस्तुत हुए । और झुक झुककर कुछ ज्यादा ही आभारवश गदगदित होकर नेताजी को न्यौता देने लगे साथ ही एक बंध लिफाफे में कुछ था....शायद गांधीजी की नई ,मस्त ,मुस्कुराती हुई तस्वीर छपे गुलाबी नोटों के थोकबंध नोट ही ! दोनों का चेहरा खिला खिला लग रहा था ।शायद सुर्ख गुलाबी नोटों की शाइनिंग चेहरे पर झलकने लगी थी !!
स्कूल के बच्चों के साथ साथ मां -बाप ,बच्चे- बूढे अरे पडोस के गांवों से भी बच्चे बुलाकर भव्य भोजन करवाया गया । सभी खुश थे ।बहुत बडे स्कूल का भवन का उद्घाटन नेताजी के करकमलों से हुआ । और एक जोरदार जोशीला और जायकेदार भाषण भी ।अब सभी को सब कुछ" फ्री " में मिलने की घोषणा हुई । किसी को कोई भी जरा सा भी काम करने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि संवेदनशील सरकार सभी कुछ मुफ्त देगी । क्योंकि देश ने इतनी ज्यादा तरक्की कर ली है कि उत्पादन यों ही पडे पडे सड -गल जाते हैं । अतः इसका सदुपयोग जनता की भलाई के लिए किया जायेगा ।लोग खुश । बच्चे भी खुश ! स्कूल में न जाने पर भी अगली कक्षा में चले जायेंगे ! सभा में उपस्थित सभी गदगदित थे कि सरकार कितनी अच्छी है !!! नेताजी ने तो हमें वाकई में "सुखी" बना दिया है । मंहगाई कम... !अनाज... सब्जियाँ ...फल ...फूल ..पेट्रोल सभी..!!?
अब रैलियों का मौसम आ गया है : हररोज नये नये नेता आ रहे हैं और रैलियां कर रहे हैँ । जादूई वचन और तोहफे दे रहे हैं !! सब कुछ फ्री दे रहे हैं और जीवन जरूरत की चीजें भेंट कर रहे हैं !!लगता है ,सब स्वर्ग का सुखोपभोग कर रहे हैं !!सभी खा पीकर मजे लूट रहे हैं । अचानक नेताजी सभी को नोटों के बंडल दे रहै हैं और समझा रहे हैं किे...' तुम अपना मत मुझे देना क्योंकि मैंने तुम्हारा कितना ख्याल रखा है , तुम्हें इस मत का क्या करना है ?क्या अचार डालोगे ..?चाहो तो यह गुलाबी नोट रख लो और यह विदेशी बोतल भी ....लेकिन भुलना मत ..मत किसी ओर को भुलाकर भी ना देना ।'
अब की बार पंद्रह- बीस डी जे के साथ गांव में भव्य रैली निकली है ।पटाखों की शोरगुल मची है । हमारे नेताजी चुनाव जीत गये हैं और मंत्री भी बन गये हैं !!!
आज के अखबार में बडे अक्षरों में खबर छपी है : सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं बढेगी....
पैन्शन बंध और सरकार ग्यारह महीने रोज के काम के हिसाब से तनख्वाह देगी.... प्राइवेट लिमिटेड कंपनीयों को सरकार सखावत देकर सरकारी कंपनीयों लीज पर देगी और सबसे महत्वपूर्ण समाचार 25% तक गुड्स टेक्ष ...लगभग सभी चीजों पर और सभी सरकारी योजनाओं को बंध करने का सरकार का महत्व फैसला किया !!
गांवों में अखबार नहीं आते और न ही बिजली पहुंचती है..बस चुनावी मौसम में तो नेताजी और अन्य समय में ही मास्टर जी ही जानकारी का श्रोत रहता है ...!! सच्ची जानकारी के अभाव में कितने सुखी है ये भोले भाले लोग !! इनको मुफ्त में सूरज चांद की बिजली मुफ्त में शरारती और शुद्ध हवा में ! बरसात से उत्पन्न अनाज,सब्जियां शुद्ध ...दूध उपलब्ध हो गया है !! सभी नेताजी और सरकार के खुशी खुशी गुणगान कर रहे हैं..!!!
आज की ताजा खबर जो अभी अभी समाप्त सरकार द्वारा प्रसारित की है- श्रेष्ठ शिक्षक का राष्ट्रीय पारितोषिक हमारे मास्टरजी को मिलेगा - सूनकर गांव के लोग पागल हूए जा रहे हैं !!राष्ट्र पति अपने हाथों से मास्टर जी के गले में माला और शाल अर्पण करके बहुमान करेंगे और पारितोषिक भी देंगें ! ...गांव के लोग प्राइवेट बस करके दिल्ली की ओर निकल गये हैं आखिर गांव का मामला है ..हमारे महान मास्टर जी के लिये सरकार जब इतना कुछ कर रही है और तो कुछ करना हमारा भी फर्ज बनता है कि "-सोचकर पागल हुए जा रहे है ग्रामीण ! !
जय हिंद 🙏
जय भारत 🙏
🙏वन्दे मातरम् 🙏

© Bharat Tadvi