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#शिक्षा और नेता #आजादी
"जय हो सरकार ! आपको कब से मिलना चाहता था ,पर थोड़ा बिझी हो गया था ।" - हाथ पांव जोडकर मास्टर जी ,बिना पुछे ही नेताजी से कहने लगा । कदाचित खुलासा करने लगा क्योंकि उसे पता था, कि इधर पांवों में गिड़गिड़ाये नहीं तो तबादला तय हो जायेगा । कर्मयोगी भले कहलाते हैं , कामचोरी भी तो करते हैं ...! उपर से मौका मिलते ही भ्रष्टाचार ; इतना ही नहीं बल्कि नेताजी का नाम लेकर कईयों को डराना - धमकाना भी तो करते हैं !
वैसे भी आज मन नहीं था नेताजी से मिलनेका , लेकिन मजबुरी थी ,कि स्कूल में अगले दिनों में इन्पेक्शन होने वाला है ...लेकिन यह पुरे साल पेटभर तनख्वाह ली जरूर थी परंतु टेबल पर पैर पसारकर सोने के सिवा कोई ठोस काम नहीं किया था ! सब्जियाँ बच्चों से मंगवाना- छीलवाना ,पैर दबवाना और मध्याह्न भोजन का जायका लूंटना ! कोई नेताजी की रैलियों और हडताल में भीड़ जुटाने का प्रबंध करना तथा सरकारी कार्यों के फर्जी कागजात समय पर पहुंचाना...आदि आदि महान कार्य बिनचुक करता रहता । सरकार ने भी शिक्षक को परचुरण काम सौपकर चपरासीनूमा "मास्टर" ही बना दिया है । यह मास्टर और नेता यानी (सरकार) - दोनों को ही राश आ गया है ।

नेताजी ने इतराकर एक सरासर नजर डाल ली लेकिन उत्तर नहीं दिया । *बेटा आज हाथ में आया है ...तेरे मजा लेता हूँ '- मन ही मन सोचकर नजर हटा ली ।दूसरे ...पार्टी कार्यकर्ताओं को जरूरी मशवरा देने लगा । कुछ बेवजह धमकियाँ और उपर से गालियाँ भी दी, ताकि सूनने वाला दूसरे चार ईमानदार को इस नेताजी के कडप का मैसेज पहूँचा दे ।उपस्थित लोगों की भीड़ से मास्टर जी थोडे -आगा पीछा हो लिये ! कहीं उनका नंबर ना लग जाये यही सोचकर ! मास्टर...