...

3 views

चुनाव
#वोट
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी। सब अपने अपने विचार रख रहे थे जिसको जो पार्टी पसंद थी उसकी महिमा मंडन गा रहा था।

बनवारी लाल को तो सिर्फ अपना फायदा समझ में ज्यादा आता था , विधायक जी से उनकी पहचान भी अच्छी खासी थी और क्यों न रहे अच्छी पहचान विधायक जी साली जी के बुआ सास के पति थे,
रिश्ते में रिश्ता निकल गया था इसे अच्छा क्या होता।

सब अपनी अपनी राय रख रहे थे बनवारी लाल एकदम चुप चाप सुन रहे थे कि जनता के मन में क्या चल रहा हैं विधायक जी के बारे में कोई शिक्षा के बारे में बोल रहा था ,तो कोई मंहगाई के बारे में ,कोई महिलाएं की सुरक्षा के बारे, परंतु बनवारी लाल जी को ज्यादा अच्छा नहीं लग रहा था, बल्की वो मुद्दा को भटकाने का काम कर रहे थे।

वहा जो दो दल बन चुके थे वो उनको लड़वाने का काम कर रहे थे उनको समझ नहीं आ रहा था भड़काते भड़काते कही माहौल बहुत खराब न हो जाए और परिणाम भी बुरा हो सकता है, परंतु बनवारी जी का शुरू था मसाला लेना ।

अचानक से गोली दगी और बनवारी जी जमीन पर अचानक से गिर पड़े और जिस हाथ से चुस्की ले ले कर बनवारी जी चाय का मज़ा लें रहे थें उसी हाथ में गोली लगी थी सब भागने लगे सारी चर्चा खत्म थीं सब अपनी अपनी जान बचा कर भागे।

पुलिस चौकी पास में थीं, पुलिस आई और बनवारी लाल को उठा कर हॉस्पिटल ले गई । दिन समाप्त ,शाम हर दिन की तरह में दुकान के आस पास बहुत लोग आए और गए सुबह क्या हुआ क्या नही उसे से किसी को कोई मतलब नहीं बनवारी लाल जी सही हैं या नहीं इसे से किसी का कोई वास्ता नहीं।

यही हर चुनाव के वक्त होता हैं सारे मुद्दे बस चुनाव के वक्त तक याद रहते हैं, कमी भी याद चुनाव तक याद रहते हैं फिर मुद्दे सब किसी किसी बक्से में बंद हो जाते है।

किसी से कोई मतलब नहीं वो सारा जोश खत्म, अगर किसी में सुधार लाना हैं तो उसे समय समय पर याद दिलाते रहना चहिए ताकि वह अपने में सुधार लाने का प्रयास करता रहें।

ऐसे जनता को सरकार की कमियों को पांच साल में लगातार याद दिलाते रहना चाहिए उसी जोश से जैसे चुनाव के वक्त याद दिलाते है हमलोग।


© Ankita