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अर्जुन
भाग –12
इतना कहना ही था की अचानक अर्जुन और असमी को चक्कर आने लगे और वह दोनो बेहोश हो गए।

जब उनकी आँख खुली तो वह दोनो एक झोपड़ी मैं बेहोश पड़े थे।देवकला और देवरथ सामने परदे के पीछे बैठे उनके होश मैं आने का इंतजार कर रहे थे।

अर्जुन ने होश मैं आते ही उसने इधर उधर देखा और उसको समझ आ गया की वह देवनागरी मैं वापस आ गए है।

उसने धीरे से असमी को उठाया और वहा से चुपके से निकलने लगे।

कहा जा रहे हो अपनी नानी से नही मिलोगे , देवकला ने कहा।


क्या है की अब आप बूढ़ी हो गई है और आपको तकलीफ नहीं देना चाहते अच्छा होगा की आप हमे जाने दे, अर्जुन ने पीछे पलटते हुए धीमी सी आवाज मैं कहा।

फिकर मत करो अभी तो तुम्हारी नानी बिलकुल ठीक है वो क्या कहते है तुम्हारी दुनिया मैं , फिट एंड फाइन, देवकला ने जवाब देते हुए कहा।

अभी इतने सालो बाद आपको हमारी याद आई है, सच सच बताओ बात कया है, असमी ने आगे बढ़ते हुए पूछा।

ह…..म....बात तो तुमने सही कही काम तो हे, और वो काम करे बिना तुम इस दुनिया से कही नही जा सकते , देवकला ने मुस्कुराते हुए कहा।

फिर उसने अपनी जादू की झड़ी घुमाई और अर्जुन और असमी का रूप बदल दिया।

अरे यह क्या किया आपने?? अर्जुन ने अपने आप को शीशे मैं देखते हुए कहा

कुछ नही बस बहुत समय हो गया था तो तुम्हे एक नई पहचान दे दी जिसे इस दुनिया मैं सब जानते है, देवरथ ने कहा।

मतलब, अर्जुन ने पूछा।

मतलब तुम्हे तुम्हारे मामा ने बताया होगा की कैसे यह देवनागरी तबाह होने वाली है देवकला ने कहा।

होने वाली है, असमी ने देवरथ की तरफ देखते हुए कहा।

हां, मैने जो भी तुम्हे बताया था वो सभ सच था और भविष्य मैं होने वाला है और तुम दोनो को अगर उस दुनिया मैं वापस जाना है तो तुम्हें उस तबाही को रोकना होगा।

पर हम दोनो ही क्यूं, आप के पास इतनी सारी शक्तियां है तो आप खुद क्यों नही बचा लेती सबको, अर्जुन ने कहा।

तुम्हे जल्दी पता चल जायेगा , अभी बस यह याद रखो की असमी का नाम बृंदा है और तुम्हारा लक्षय। तुम्हें महल मैं जाकर वहा से हंस मणि चुराना होगा अगर सही सलामत अपने घर वापस जाना चाहते हो तो ।आई बात समझ मैं , देवरथ ने मुस्कुराते हुए कहा।

वाह! रे भगवान क्या जमाना आगया है अक्सर बच्चो के मामा और नानी उन्हें अच्छी आदतें सिखाते है और हमारे देखलो इतने सालो बाद मिले तो वो चोरी करवाने के लिए , असमी ने मुंह बनाते हुए कह।

कोई बात नही एक बार हमारा यह काम करदो उसके बाद तुम जो मांगोंगी तुम्हे मिलेगा, देवकला मुस्कुराते हुए कहा।

देवकला ने अपनी झड़ी ज़ोर से जमीन पर मारी और अर्जुन और असमी दोनो झोपड़ी से गायब हो गए।

आगे जानने के लिए पढ़ते रहे "अर्जुन"।




© khushpreet kaur