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रॉन्ग नंबर / या मेरा टाइमपास..
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो ऐसी ही कड़कड़ाती बिजली गरज रही थी, चारो और से घूम कर तूफानी हवा जैसे उसके घर की सारी खिड़किया उखाड़ फेंकने को उतारू हुई थी। जीत एक हाथमे ग्लास लेकर सोफे पर पसरा हुआ था, और ग्रामोफोन पर बज रहा था,

“ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर कि तुम नाराज ना होना,
कि तुम मेरी जिंदगी हो कि तुम मेरी बंदगी हो..!!”

ग्लास से दो घूंट पी कर जीत उठा, सोफे के साइडमें टेबल पर रखी ऐशट्रे में से सिगार के दो लंबे कश लिए, और ग्रामोफोन के पास जाकर उसे बंद किया। उसके पैर हल्के लड़खड़ा रहे थे, पर...