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बुरा न मानो होली है
बुरा न मानो होली है--- कहीं सुना था कि तीन तरह से लोग महान हो सकते हैं । एक जो जन्म से ही होते हैं ; दूसरे जो कड़ी मेहनत और लगन से उसे अर्जित कर सकते हैं और तीसरे जिनपर महानता उपर से थोपी जा सकती है । इनमें अगर चुनाव करना हो ,तो तीसरी वाली (महानता )सबसे आसान और सुगम है । न हर्रे लगे न फिटकरी पर रंग चोखा । वैसे भी जब हमारे देश के भोगी ,योगी हो सकते हैं ;पाखण्डी, भगवान हो सकते हैं,तो यह देश महान क्यों नहीं हो सकता ? हालाँकि अपने देश की महानता पर मुझे कोई संदेह नहीं है ,ना ही देश-भक्तों की नई उगी हुई फसल पर ; लेकिन अपनी कमजोर यादाश्त को लेकर जरूर है । मैं अक्सर भूल जाता हूँ कि मैं एक महान देश का नागरिक हूँ । मैं अक्सर अपने आस-पड़ोस के गली-कूचों और झोपड़पट्टियों में अपने महान देश के चेहरे को खोजने निकलता हूँ और वह जब कहीं नहीं दीखता,तो हर आते-जाते राहगीर से बेचैन होकर पूछने लगता हूँ । सीताहरण के बाद भगवान राम भी वियोग से व्याकुल होकर ,आदमी तो आदमी, पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों से भी पूछते रहे-तुमने मेरी सीता को कहीं देखा ?..मुझे रास्ते में नेताजी की गाड़ियों का काफिला आता दीख गया । कहीं दलबल के साथ जा रहे थे । अनगिनत बन्दूकों से लगा कि कहीं डकैतों का गिरोह तो नहीं ! इनदिनों पहचान का संकट भी कम नहीं है । पहले के नेता इसीलिये टोपियाँ पहना करते थे । अपने देश की महानता से अब कुछ डर-सा लगने लगा है । क्या पता किस रूप और हाल में वह दीख जाय । एकबार दुष्यंत कुमार को कहीं नुमाईश में वह चीथरे पहने हुए दीख गया था ।
पता नहीं हमारे देश को आजकल महान होने का इतना धुन क्यों सवार है !.. इनदिनों जिधर देखिए, उधर महानता का जाप करने वाले देश-भक्तों की भीड़-ही-भीड़ है । इसमें बड़े-बड़े सेठ-साहूकारों से लेकर साधु-सन्तों तक सभी अपने-अपने तरीके से लगे हैं । देश-भक्ति भी अब पेटेंट हो चुकी है । कुछ दिनों बाद लाइसेंस बाँटने की योजना भी आ जायेगी । अगर आप देश-भक्त नहीं हैं, तो यकीनन देश-द्रोही होंगे । कोई हैरत नहीं कि किसी दिन आपके लिए देशबदर का सरकारी फरमान जारी कर दिया जाय ।
कल चौक-चौराहों पर लगे हुए बड़े-बड़े पोस्टर और होर्डिंग्स से ही मुझे पता चला कि देश काफी तरक्की पर है । देश का विकास शायद नंगी आँखों से देख पाना संभव नहीं । इसके लिए विशेष तरह के चश्में की जरूरत होगी या फ़िर अंध-भक्ति की । लगता है देश में अब न कहीं महँगाई है ,न बेरोजगारी; न भुखमरी है, न भ्रष्टाचार...शायद अच्छे दिन आने ही वाले हैं !
बुरा न मानो होली है