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" अर्हन्त " का सही अर्थ
अर्हन्त -
यह दो शब्दों से बना है - अरी + हनन

अरि - शत्रु
हनन - जड़ो से नष्ट करना

जिसने भी अपने शत्रु (मन के विकार - राग, द्वेष...) को शील का पालन कर , सम्यक समाधि के आधार पर अपनी प्रज्ञा से उन्हें जड़ से उखाड़ नष्ट कर दिया वही अर्हन्त होते है।
विकारों के शून्य अवस्था को अर्हन्त कहते है, जहाँ विकारों का नामोनिशान तक नही रहता।
और यह सिर्फ तथागत बुद्ध जी के विपश्यना साधना से ही संभव है।