...

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हर रिश्ते आधार हूँ मैं
नारी हूँ मैं हऱ रिश्ते क़ा आधार हूँ मैं
माँ भी हूँ एक बेटी भी हूँ एक बहन भी
हूँ औऱ एक पत्नी भी हूँ मेंरे बिना हऱ
रिश्ता अधूरा हैं फ़िर क्यों आज़ाद
नहीं हूँ मैं फ़िर क्यों आज भी घरों में
दहेज़ क़े लिए जलाई जाती हूँ मैं फ़िर
क्यों हर जुल्म क़ी शिकार हूँ मैं फ़िर
क्यों बोझ समझकर भूर्ण में मार दी
जाती हूँ क्यों किसी कों मना करने
पर तेजाब फैक दिया जाता हैं मेंरे
चेहरे पर फ़िर क्यों लड़की कहकर
मेरी पढ़ाई रोक दिया जाता हैं क़ी
लड़की हैं शादी करकें दूसरे घर
जाएगी वहाँ पर तो चूल्हा चौका
करेगी इसको आगे पढ़ाने क़े क्या
करना क्यों मेंरे सपनो कों तोड़
दिया जाता हैं क्यों उड़ने सें पहले
ही मेंरे पंखो कों काट देते हैं बहुत
हैरानी होती हैं समाज क़ी यें दशा
देखकर कहने कों तो देश आगे बढ़
रहा हैं कई शहरो में कई गांव में
आज भी बेटियों क़ी परिस्थिति
इतनी ख़राब औऱ इतनी बद हाल
हैं क्योंकि ज़ब तक लोगो क़ी सोच
नहीं बदलेगी ज़ब तक बेटियों क़ी
स्थिति नहीं बदल सकती
© Purnima rai