...

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यादों का डिब्बा
आज अचानक से सफाई करते करते मुझे मेरी यादें मिल गई..."ये अब तक रखे हुए है मुझे तो लगा था किसीने फेक दिया होगा"...
उसे उठाकर मै एक धूल भरी कुर्सी पर आराम से बैठ गई जैसे कोई सीरियल आने वाला हो ओर कोई काम भी ना हो....
एक मीठी सी मुस्कुराहट से मैने उसे खोला..
ओर खोलते ही आंसू कब आ गए...