इंसानियत
आज एक ऐसे इंसान की बात करने जा रही हूं जो वास्तव में इंसान है...
मैंने उसे कभी इतना ध्यान से कभी ना देखा था सब कहते थे वो बहुत अभिमानी है और कुछ कहते थे वो पागल है ना जाने क्यू आज उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया ,
बहुत तेज बारिश हो रही थी ओले भी गिर रहे थी शाम के 6 बज रहे थे लेकिन देखने से तो ऐसे लग रहा था जैसी रात के 9 बज चुके हो फिर मैंने अचानक से एक गाय आती देखी हमारे दरवाज़े पर जब सबने उसे पनाह नहीं दी तो आखिर में वो मेरे दरवाजे आई मैं भी उसे अंदर बुलाना चाहती थी पर थोड़ा डर गई, फिर अंदर से मेरा भाई आया वो बोला हट्ट हट्ट मैंने बोला क्यों भागा रहे हो भैया गाय को वो बोले गोबर कर देगी रात भर थोड़ी ना घर के अंदर...
मैंने उसे कभी इतना ध्यान से कभी ना देखा था सब कहते थे वो बहुत अभिमानी है और कुछ कहते थे वो पागल है ना जाने क्यू आज उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया ,
बहुत तेज बारिश हो रही थी ओले भी गिर रहे थी शाम के 6 बज रहे थे लेकिन देखने से तो ऐसे लग रहा था जैसी रात के 9 बज चुके हो फिर मैंने अचानक से एक गाय आती देखी हमारे दरवाज़े पर जब सबने उसे पनाह नहीं दी तो आखिर में वो मेरे दरवाजे आई मैं भी उसे अंदर बुलाना चाहती थी पर थोड़ा डर गई, फिर अंदर से मेरा भाई आया वो बोला हट्ट हट्ट मैंने बोला क्यों भागा रहे हो भैया गाय को वो बोले गोबर कर देगी रात भर थोड़ी ना घर के अंदर...