...

13 views

हौंसला रख
मेरी प्रेरणा के चांद, सूरज और तारे सभी बुझ गए हैं।
हो गई है अंधी दिशाएं
जो रौशन थे दिए
उन्हें भी हवाएं बुझा कर ले गई अपने साथ।
जाने क्यों साल दो साल में एक बार
मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है।।
पता नहीं क्यों कुछ लोग देते हैं कुछ परेशानियां जानबूझकर।
इस तरह मुझपे लोगो का तिलमिलाना,
बड़बड़ाना।
पसंद नहीं आता मुझको
बड़े हो तो बड़े बनकर रहो
रौब क्यों दिखाना बेवजह किसी पर क्या गुस्सा करना।
अगर हुई कोई गलती तो मुझसे कहो ,
पीठ पीछे मेरी बुराई क्या करना किसी से।
लेकिन शायद कुछ लोग ऐसे ही होते है
जिनको चुगली, बुराई करने से ही पेट का खाना पचता।
मैं सोचती तो हूं ऐसे लोगो पर ध्यान ना दूं।
मगर मैं टूट जाती हूं लोगो के मेरे प्रति ऐसे व्यवहार से।
अब हर बार की तरह एक हौंसला रखना होगा
जलाना पड़ेगा एक छोटा चिराग राहों में जिससे रौशन हो सके ज़िंदगी।
कुछ सितारे जलाने पड़ेंगे।
जो झिलमिलाए
टिमटिमाए
और कहे मुझसे
हौंसला रख...
हौंसला रख...
हौंसला रख....