वो आखिरी ट्रेन
महेंद्र सिंह कराची के बहुत बड़े जमींदार थे। महेंद्र सिंह जी किसी में भेदभाव नहीं करते थे। नदीम खान उनका प्रिय मित्र था। एक दिन महेंद्र सिंह अपने दरवाजे पर बैठे हुए थे, तभी नदीम खान घबराता हुआ आता है। नदीम आते ही कहता है की महेंद्र तुम कराची खाली कर दो कल से जितने भी गैर मुस्लिम हैं उन्हें मार दिया जाएगा। महेंद्र ने जाने से मना कर दिया और कहा कि मेरा जन्म यहीं हुआ है मैं कहीं नहीं जाऊंगा। नदीम ने रोते हुए कहा की दोस्त मेरी बात मानो नहीं तो तुम्हारे सामने तुम्हारे बेटे की हत्या कर दी जाएगी...