...

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मेरी कहानी,मेरी जुबानी।
आज सुनाते हैं तुमको ,एक सच्ची कहानी,
है आपबीती है यह मेरी, है यह मेरी ज़बानी,
इसकी कुछ अहम बातें, हो सकती हैं तुम्हारी,
तुम देेना माफी मुझको,
गर भावुकतापूर्ण हो बात मेरी।।

लो शुरू करता हूं अपनी बात,
है कुछ दशक पूर्व की बात,
एक घनी अंधेरी रात,
बाहर घना अंधेरा,
अंदर था उजियाला,
रात बीतती थी जा रही,
नवप्रभात को आमंत्रण दे रही,
नहीं अहसास मुझे,क्या दर्द सहा मां ने,
दिया जन्म मुझे एक अस्पताल में।।

नाज़ों से मुझको पाला था,
हर नखरा मेरा झेला था,
मेरा बचपन बीता, जवानी आई,
पर मां के प्यार में,
न कोई तब्दीली आई।
उनका वही प्यार,
उनका वही दुलार,
उस प्यार ने ही मुझे,
पहुंचाया मंजिल पार।

मेरा अच्छा पद,अच्छा मान,
सबमें है उनका ही योगदान
कैसे भूलें स्कूल के उन दिनों को,
घंटा भर पहले वो ,
आ जाती थीं वो मुझे लेने को।

आज हैं वे बिस्तर पर,
तीन बरस से हैं उनका चलना दूभर,
कुछ याद नहीं रहता अब उनको,
नहीं भूल सकते उन सेवाओं को,
मां,तुम ही हो मेरे सच्चे भगवान ,
हो जाओ जल्द स्वस्थ तुम,
मांगते भीख रब से,
हम बालक नादान ।।
@Anshu 16
© mere alfaaz