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चिट्ठी भाग दो
जैसा की मैंने पहले पृष्ठ में बताया था कि
विवेक और निकिता की प्रेम कहानी का घर वालो को खबर हो गई थी।
अब निकिता और विवेक की मिलाने की कसम तो सुप्रिया ने खा ली मगर अब निकिता को विवेक से मिलाएं तो कैसे विवेक के घर वाले बहुत खुखार और निर्दय किस्म के लोग थे बड़े घर होने के चलते हर जगह शहर में उनका दबदबा भी चलता था। और विवेक को वो लोग बहुत जरूरत पर ही कहीं आने जाने देते थे। अब सुप्रिया को एक बात सूझी क्यों ना दीदी का सहायता ली जाए क्योंकि जैसा मैंने बताया था विवेक जहां कार्यरत था वहा सुप्रिया की दीदी भी कार्य करती थी। चुकी विवेक को कार्यालय के लिए कोई मना नहीं कर सकता था। इसलिए अब निकिता और विवेक को वहा मिलाने का समाधान निकल गया।अब सुप्रिया ने वैसा ही किया और निकिता को कार्यालय पर लेकर पहुंची विवेक और निकिता ने एक दूसरे को देखा और देखते ही एक दूसरे से लिपट कर रोने लगे।ना जाने कहां से ये खबर विवेक के घर वालों को भनक लग गई। और उधर वो घर से कार्यालय की ओर निकले तब तक विवेक को भी खबर लग गई उसके घर वाले निकिता को क्षति न पहुंचा सके अब स्थिति कुछ यूं बन गई की विवेक और निकिता को वाजिद कदम उठाने पर विवश कर दिया।
कहानी अभी बाकी है।
© bedrad jindagi.