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संघर्ष कै बिना सफलता कठै ........भाग 1
देखो री ,केड़ो जमानों आयो हैं छोरिया भी जावण लागी कमाबा । अर वे भी शहरा मै
सुणयो है , चोखी कमाई होवै है , जद हि तो मर्द घरा न बैठ मौज उड़ावै हैं।
अरी हां, मौज हि उडावैला , कमावै जद तो पसीनो आवै हैं पसीनों।

आज फेर कमला कै नळ पे जाता ही ऐ बाता शुरु होणी होगी , मन नै कोसती कमला बिना पाणी भरया ही पाछी घरा न आगी।बिचारी ओर करती भी काई पति कै गुजरया बाद बेटी ही तो सम्भाळ रही छी घर - बार , बेटा न तो आवारागर्दी सु ही फुरसत कोनी मिले दोस्ता रा सागे पिकै ढोला मारु पड्यो रेवै हैं नाळया मै

साँझ न कमला चूल्हों सुलगा री छी की बारे सु आवाज आई , कमला ओ कमला दरवाजो खोल,तनै किता दिन होग्या रिप्या लिया , लेण की टेम तो मिठा- मिठा बोलो ओर पाछे गूंगा बण जाओ । आज 2 साल होग्या पण पाछा देबा रो नाम ही कोनै , तड़कै मनै महारा रिप्या चायजै नही तो देख लिज्यो अंजाम बहुत भुरो होवैला (घिस्यो ताऊ बडबडतो पाछो चल्यो जावै )

देख लियो न थारे कारण ही सुणणी पड़ री हैं अ बाता नही कुण बोलजा इया घरा आर, तनै कतरी भी समझद्दयो पण थारे समझ म कोनी आवै हार गी थारे आगे म (कमला अपणा बेटा श्यामा न कह पाछी चूल्हा कै लाग जावै) रोटी बणाकै बैठी ही छी की .....
गीता बोली माँ ओ माँ कठै है
माँ ~ आगी बेटा
गीता ~ हां माँ
माँ ~चाल तु हाथ मुंडो धो लै म रोटी डालू
गीता ~हां माँ जोरगी भूख लागी है , तनै खा ली की रोटी
माँ ~थारे बिना मनै रोटी किया भावै
गीता~ क्यूं माँ
माँ ~थारे आलावा ओर कुण है म्हारो अठै
गीता ~आछ्या माँ बीरो कोनी दिख्यो , कठै गयो
माँ~ कदे कह कै जावै है जो आज कहकै जावैगो
गीता~ रोटी भी कोनी खायो होगो
माँ~ ना (हाथ हलार बोली)
गीता ~माँ तु रो री है
माँ ~ना बेटा
गीता~ क्यूं झूठ बोलै ,थारी आंख्या बता री है
माँ ~साँझ नै घिस्यो ताऊ आयो हो बोल कै गयो है तड़के महारा रिप्या दे दियों नही तो
गीता~ नही तो (बिच मै ही बात काट देवै)
माँ ~नहीं तो अंजाम बहुत बुरो होवैलो
गीता ~तु टेंशन मत लेवै माँ सब ठीक हो जावेलो भगवान पर भरोशो राख सब ठीक कर देवैला
माँ ~चाल सो जा बेटा
गीता ~हां माँ तु भी आराम कर ले ओर सुबह की बिल्कुल भी टेंशन मत कर

आगै कै होवैलो , ताऊ गीता और उकी माँ कै सागे कै करोलो या फेर गीता ताऊ नै रिप्या दे देवैली । जाणबा की खातिर म्हारे सागे जुड्या रेवो

~~~~ किरण कुमावत

🙏🏻🙏🏻🙏🏻 jay shree shyam 🙏🏻🙏🏻🙏🏻