...

1 views

Ethical Diaries -5
#नारी स्वयं,#बहादुर ,सहनशीलता , धैर्यवान,रहस्य से परिपूर्ण।

आज देश और समाज में चल रहे सभी प्रकार के द्वंदो से लड़कर आगे जाना बहुत मुश्किल होता हैं, अगर चले भी जा रहे तो उसमे भी तमाम बातों सुनने को मिलता है ।यहां सभी का मतलब एक है की यह उन पर प्रभाव पड़ता है जो देश, समाज और घर में अपने को कोशिश में लगी है कब अपने को आगे रखने में प्रयास्त है ,आप सभी अब तक अवगत हो गए होगे। कि हम आगे क्या कहने वाले है और लिखने वाले है ।


हां मैं अपने देश के बहादुर नारियों के बारे में बात कर रहा हु और मेरा किसी केवल लिखने का आशय यह है कि उनसे प्रेरणा मिलता है और इनके बारे कितना भी लिखो और कोई भी लिखे लेकिन उनके दर्द को हुबहू नही लिख सकता काफी द्वंदो रहा जिसमे पाश्चात्य विचारक और भारतीय विचारक भी अपने अपने लेखों के माध्यम से समाज में उनके बहादुरी और प्रेरणाओं को शामिल किए लेकिन उनसे कुछ भी समाज में शत प्रतिशत प्रभाव नही डाल पाए लेकिन प्रयास तो किए

अब वर्तमान समय के स्थिति को देखते हुए उन्हें अपने अधिकारों से वंचित मिलती हैं जहां अगर मिल भी जाए तो अपने कामयाब करने में कोई कसर नही रख पाती है अपना पूरा शत प्रतिशत के साथ अपने क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा करती है ।

करुणा तो भरा मिलता हैं किसी के प्रति कोई द्वेष नही केवल अपने ही उत्थान ही नहीं वल्कि अपने परिवार और दूसरे परिवार में जाने के बाद वहीं अपनी स्थिति परिस्थिति अच्छा बनाने की कोशिश में अपने पूरे जीवन को लगा देती है ।आखिर समाज का एक बड़ा सा शब्द है जो बार बार प्रयोग कर ही लेते वो है "उम्मीद "इसका प्रयोग बखूबी प्रयोग कर लेते है इनसे ही नही बल्कि स्वयं से भी जिसमे वो भावना का समावेश रहता है जिसका समय समय पर प्रयोग कर लेते है।

आज और प्राचीन में अंतर बहुत स्पष्ट दिखाई देती है आज तार्किक के आधार पर है जुड़ना हो चुका हैं । प्राचीन रूढ़ियों से दूर होते जा रहे है ।और जरूरी भी क्योंकि आज समाज में एकल परिवार को की महत्ता बढ़ गई है। जिससे विकास के स्तर बट गए है और समाज में खान पान ,रहन सहन और पढ़ाई में भी समानता कुछ हद तक कोशिश किया जा रहा है ।जिससे नारियों को भी अपने मन पसंद जीवन जीने की आजादी हो गई है आजादी शत प्रतिशत तो नही कहां जा सकता है लेकिन हैं विकासशील देश में यह एक अहम हिस्सा है जिसमे समाज में एक वर्ग का ही विकास के स्तर पर वर्चस्व ना हो जिससे अधिकार भी एकलता ना हो बल्कि बहुलता दिखाई दे ।और नारी का एक हिस्सा जो कहीं न कहीं इससे दूर हो जाता था लेकिन आज अपने सहभागिता में बड़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है ।और अपने को धर्मो का पालन भी कर रही है ।

एक पिता की बड़ी लड़की है तो उसको थोड़ा चिंतन होना स्वाभाविक हैं क्योंकि उसको एक बोझ समझ लेता है ।यदि नही समझे तो उसके जीवन का सबसे सुनहरा पल होता है और बहुत किस्मत वाले को लड़कियों जन्म लेती है । जीवन में बात परेशानी और चिंता की है तो हमारे हिसाब से अगर हो सकता है तो अर्थ का हो सकता है लेकिन ये अपने कर्म से कभी कम और कभी ज्यादा पास में रहता है ।आज समय में लड़किया पापा के कंपनी सहयोग भी कर रही है ।बस उनको उस काबिल बना दिया जाए उसके बाद वह स्वयं अपने को उन्नति कर लेती है।

आगे और भी है लेकिन अगले भाग में ...........

© genuinepankaj