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मै मोह के धागो मे
मै मोह के धागो मे बंधा एक पंछी हूँ, उड़ता हूँ तो, धागो की डोर खींच लाती हैं, मै पिनज़रे मे बंद एक पंछी हूँ, सिर्फ़ आसमां देखता हूँ, पर उड़ नही सकता, मै बो पंछी हूँ जो पिनज़रे से निकलकर उड़ना अब भूल गया हूँ।
© @tul choudhary
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