...

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किसी ने नहीं बताया....💔
हर किसी ने सिखाया कि प्रेम करो,
कभी बोला प्रत्येक व्यक्ति से करो
कभी कहा इस धरती से,कभी आकाश से,
क्षितिज से,तो कभी पाताल से।

कभी दिशाओं से कभी शिलाओं से,
कभी लताओं से,कभी जटाओं से,
कभी धाराओं से,तो कभी निराधारों से,
कभी विपदाओं से,कभी प्रसन्नताओं से
अथाह प्रेम करने को कहा गया...

किन्तु कभी किसी ने नहीं बताया..
कि वास्तविक प्रेम है क्या...
क्यूंकि मैंने देखा है आजकल...
प्रेम और मोह में अन्तर बताते हुए...
कभी संतों को..कभी महंतों को,
कभी ज्ञानियों को,कभी मुनियों को,
कभी उपासकों को...

हर कोई दे रहा है ज्ञान...
उस भाव पर जिसके बारे में सबका अपना अनुभव है..
क्यूंकि कोई किसी के लिए पूरी जिंदगी इंतज़ार में गुजार रहा है..
कोई किसी की यादों को समेट आगे बढ़ रहा है धीरे धीरे,
कोई अलग होकर भी मौजूदगी महसूस करता है यार की..
कोई पल में ही भूल चुका है, इज्जत करना चाहता है अपने प्यार की।

कोई दूर जाने के सौ मंसूबे बनाकर तोड़ चुका है..
कोई तरसता है साथ को,और रो रोकर भी नहीं थका है,
कोई सिर्फ बन्धन को ही प्यार देकर बैठा है...
और कोई दिन भर में सिर्फ एक बार दीदार चाहता है..

कोई जानता है कि साथ मुमकिन नहीं फिर भी साथ निभा रहा है,
कोई जानता है कि साथ होकर भी साथ नहीं है फिर भी साथ निभा रहा है..
कोई जला चुका है बस्तियां और उम्मीद में मोहब्बत चाहता है..
किसी का जल चुका है आशियाना, फिर भी वो मोहब्बत कर रहा है..
तो आखिर मुझे भी जानना है कि आखिर जिसे प्यार कहते हैं वो है क्या..?
क्या जिसमें बेइंतहा दर्द सहकर भी,निभाने वाला बचा है कोई,तो वो कौन है..??

#आकांक्षा_मगन_सरस्वती
#आकांक्षा_पाण्डेय_सरस्वती

© ~ आकांक्षा मगन “सरस्वती”