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"तन्हाईयां"
रूपाली ने घड़ी देखी अभी सिर्फ ५:०० ही बज रहे थे। अभी तो दो घंटे और है तब वीना आयेंगी। वीना
रूपाली के यहां काम करने आती है।और रूपाली जब तक वीना रहती है उसके साथ खूब बतियाती है लेकिन वीना के जातें ही फिर घर वीरान हो जाता है। शाम को वो जब सब्जी लेने नीचे उतरती है तब आस पड़ोस में थोड़ी बहुत बात कर लेती है और फिर अपने कमरे में आ जातीं हैं। रोज दीपाली का दिन ऐसे ही बीतता है।पूरा घर जैसे उसे काटने को दौड़ता है।३५ वर्षीय रूपाली जैसे समय से पहले ही बूढ़ी हो गई है। लेकिन कभी रूपाली ऐसी नहीं थी सब कुछ उसके जीवन में बहुत खुशगवार था पति सुमित भी बेहद प्यार करने वाले पति थे। रूपाली एक स्कूल में टीचर थी और सुमित भी एक कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत थे। दोनों ने प्रेम विवाह किया था। रूपाली ज़िन्दगी को भरपूर जीना चाहती थी।एक दिन सुबह जब रूपाली को उल्टी आने लगी तो उसने तुरंत सुमित को प्रेग्नेंसी टेस्ट किट लाने को कहा। रिपोर्ट पोजिटिव आई तो सुमित तो बहुत खुश हुआ लेकिन रूपाली खुश नहीं हुई और बोली सुमित अभी मेरी उम्र ही क्या है सिर्फ २५ साल आई एम सौरी मैं इतनी जल्दी मां नहीं बनना चाहती और उसने बच्चे को एबॉर्शन करना दिया। हालांकि इस बात से दोनों में काफी बहस हुई मगर रूपाली नहीं मानी और उसने वहीं किया जो वो करना चाहती थी। धीरे-धीरे वक्त गुजरता रहा दोनों की शादी को दस साल हो गए थे। सुमित ने भी अब रूपाली को कुछ बोलना छोड़ दिया था। फिर एक दिन वो हो गया जिसका किसी को भी अनुमान नहीं था। दोनों अपनी शादी की दसवीं सालगिरह बहुत धूमधाम से मनाना चाहते थे इसलिए सुमित के दोस्तों और रूपाली की सहेलियों के साथ ही सुमित के माता-पिता और रूपाली के माता-पिता भी आए थे। सालगिरह के अगले दिन सबने मथुरा और आगरा घूमने का प्लान बनाया। दूसरे दिन सब सुबह-सुबह ही सुमित के एइट सीटर कार में चल पड़ें। सबने पहले मथुरा में सभी मंदिरों के दर्शन किए फिर आगरा की ओर रवाना हुए। वहां सब दो दिन रूकें।वहां भी सबने खूब मज़े किए। घूमने के बाद सब जब वापसी में आ रहे थे तो सुमित की गाड़ी की टक्कर एक बड़े से ट्रक से हो गई टक्कर इतना भयानक था कि सभी कार में ही जोर से हिलने लगे और‌ अनबैलेस्ड होते ही कार सीधे डिवाइडर से जोर से टकरा गई सुमित के सामने का शीशा टूटकर उसके ही ऊपर गिर गया जिससे सुमित की वहीं मौत हो गई आनन-फानन में वहां मौजूद लोगों ने सबको पास ही के अस्पताल पहुंचाया लेकिन अस्पताल पहुंचते पहुंचते सुमित के माता-पिता और रूपाली के माता-पिता की भी मौत हो चुकी थी। रूपाली को भी काफी ज्यादा चोटें लगी थी। लेकिन वो बच गई थी।
एक ही पल में रूपाली की पूरी दुनिया उजड़ गई।क्ई दिनों तक वह लगातार रोती रही और फिर अचानक से वो एकदम तन्हा हो गई।बस वो सुबह यंत्रवत स्कूल जातीं और घर आकर फिर वही चारदीवारी में कैद हो जाती।आज उसके साथ हंसने बोलने वाला और उसके दुःखो को समझने वाला कोई न था।आज रूपाली को अफ़सोस होता है कि काश उस दिन उसने बच्चे को दुनिया में आने दिया होता तो कम से कम आज उसके साथ कोई तो होता।
कभी कभी हमारा एक फैसला हमें ज़िन्दगी भर रोने पर मजबूर कर देता है।(समाप्त)
लेखन समय-3:00 बजे - बृहस्पतिवार
दिनांक 25.4.24


© Deepa🌿💙