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कुलधारा : एक शापित गांव
हाय मेरा नाम ......, ह्म्म इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, छोड़ो, कभी-कभी मुझे लगता है कि नामों का क्या महत्व है? क्या वे वास्तव में मायने रखते हैं, हो सकता है? पर इस विशाल ब्रह्मांड में हम क्या हैं? मैं आपको अपने अनुभव से बताता हूं कि हम कुछ भी नहीं हैं, हम कोई भी नहीं हैं। हम मुक्त रहना चाहते हैं; हम स्वतंत्रता चाहते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप इस पृथ्वी पर अपने मर्जी से आये हैं क्या आप इस धरती को अपनी मर्जी से छोड़ देंगे। जवाब है "नहीं", तो स्वतंत्रता क्या है, हम किस स्वतंत्रता के बारे में बात कर रहे हैं। कौन जानता है? लोग यहां आते हैं और चले जाते हैं जो वे यहां छोड़ जाते हैं वो है उनका नाम, हां, उनका नाम यादों के अंबार में राख के अंदर आग जैसा दबा रहता है जब तक कि वे समय के साथ गुम नही हो जाता। यह कोई कहानी नहीं है, न ही ये कोई किंवदंती है।
यह एक अविरोध "कटु सत्य" है। सत्य... एक वासना की,  स्वाभिमान की, अभिशाप की, हाँ, एक अभिशाप जो वक्त के परे हैं। जी पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता हैं।
            उस दिन मैं बहुत खुश था, क्योंकि 5 साल के लंबे समय के बाद मैं अपने दोस्तों से मिल रहा था, वे मेरे शादी में आ रहे थे, हां, मैं शादी कर रहा था।, जो मेरी जिंदगी थी, मेरी मंगेतर स्निग्धा हम कॉलेज में मिले थे, हम अच्छे दोस्त थे, फिर धीरे धीरे प्यार हो गया और अब हम शादी करने जा रहे थे। उस रात मैं रोहित, दीपक और अभिनव के साथ वीडियो कॉल पर था।
रोहित: तो, सब कैसा चल रहा है?
मैं: क्या चल रहा है?
रोहित: तुम्हारे बलिदान की तैयारी। ये बोल कर वो हंसने लगा
दीपक: भाभी जी कैसी है?
मैं: वह ठीक है।
दीपक: जबकि तुम उसके साथ हो और वो फिर भी अच्छी है?
रोहित: कुछ सही नहीं लग रहा है! ये बोल कर वो मुझ पर हँसने लगे।
मैं: चुप रहो सब! वह तुम्हारी भाभी है।
रोहित: यही कारण है कि हम ऐसा कर रहे हैं।
और यह कहने के बाद उन सभी ने हंसना शुरू कर दिया। लेकिन अभिनव काफी गंभीर था, उसने एक शब्द नहीं कहा। मैंने कहा कि   तुमको क्या हुआ है अभि, तुम बहुत शांत हो, और मुझे लगता है तुम ठीक नहीं हो, कुछ तो हुआ है।
अभिनव: नही, मैं बिल्कुल ठीक हूँ और मैं तुम्हारे लिए बेहद खुश हूं, प्रताप लेकिन तुमको याद है कि हमने अपने कॉलेज के दिनों में कुछ निर्णय किया था?
मैंने कहा, हाँ..मुझे याद है कि हमसब तुम्हे तुम्हारे जन्मदिन पर कभी नहीं पिटेंगे, और ये सुन कर सब हंसने लगे।
अभिनव: प्रताप! प्रताप मैं मजाक नही कर रहा हूं, क्या तुम्हे नहीं लगता कि बहुत लंबा वक्त हो गया है, इस बात को, कॉलेज के दिनों में हमने फैसला किया था कि जब भी हम में से कोई भी शादी करेगा तो हम सभी एक रोड ट्रिप के लिए जाएंगे, और ये सबने मिलकर तय किया था।
मैं: हां मुझे याद है अभि, मैं भी जाना चाहता हूँ पर तुम मेरे परिवार और उनके "रीति रिवाज" को नहीं जानते, मैं दूल्हा हूं जब तक मेरी शादी नही हो जाएगी मुझे बाहर नहीं जाने दिया जाएगा। और हल्दी के बाद  तो बाहर जाना तो असंभव है। अभिनव: प्रताप, मैं तुम्हे इसके लिए मजबूर नही कर रहा हूं, अगर तुम नहीं चाहते हो, तो हम नहीं जाएंगे।
उसका चेहरा उतर गया था, उसने मुझे भी भावुक कर दिया, तब मैंने कहा मैं ट्रिप पर आ रहा हूँ,  तुम सब आ रहे हो या नही,
वे हंसने लगे और कहा हम तो कब से तैयार है, तुम ही थे जो नखरे दिखा रहे थे, फिर सब हंसने लगे।
मेरे नखरे नहीं हैं मैंने कहा, लेकिन वे हँसना बंद नहीं करते हैं। मैंने कहा ठीक है गुड नाईट मुझे जाना है, मैं कल तुमलोगों को बताता हूं मां से पूछ कर, और मैंने कॉल काट दिया।
       अगले दिन, मैंने माँ से बात की, लेकिन उसने कहा, नहीं, यह बिल्कुल भी नहीं हो सकता है, हमारे परिवार में शादी के वक्त दूल्हे को घर से बाहर नही जाने देते और तुमने तो पूरा ट्रिप का ही सोच लिया।
अब तो मुझे लगा हमारा ट्रिप का गया हवा खाने, पर मेरे दोस्त की दिन काम आते, उन्होंने तो एड़ी चोटी का जोर लगा दिया , खास तौर से अभिनव ने वो तो जमीन पर लोट पोट हो गया, माँ उसे मुझसे कम नही प्यार करती है, हम सभी ने जोर दिया और दीपक तो एक कदम और आगे बढ़ गया, न जाने वो मगरमच्छ के आंसू कहाँ से ले आया माँ उसे कहा चुप कर बदमास, मैं तैयार हूं, अगर "हमारे पंडित जी अनुमति देते हैं तो तुम सब जा सकते हो"। दीपक ने कहा कि "मौसी को मनाने में ही इतना पापड़ बेलना पड़ा, अब पंडित जी! वो तो कभी नहीं मानेंगे"।
पंडित जी से बात की हमने कहा कि माँ ने हां बोल दिया है और बोला है सब अब आप पर ही है। ये सुन कर पंडित जी थोड़ा शान्ति से कुछ सोचने लगे, फिर उन्होंने  मेरी कलाई पर और मेरी गर्दन पर  आम के पत्ते को मोड़ कर बांध दिये और बोले कि शादी करने वाले व्यक्ति को शादी सम्पन होने तक बाहर नहीं जाने दिया जाता, इसके कई कारण हैं, लेकिन आज के युवा रीति रिवाजों पर हंसते हैं, यही नहीं वे इन्ही "मंत्रों" को गाने के रूप में सुन लेते हैं और गाते भी है,...