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शिज़ोफ्रेनिया
(Schizophrenia) एक मानसिक रोग है। इसे अत्यंत गंभीर मानसिक रोग कहा जाता है। इस शब्द का पहली बार उपयोग ब्लुलर (Blular) ने 1911 में किया था। इसका अर्थ है एक प्रकार का मानसिक विकार। इस विकार में मरीज के जज्बाती, बौद्धिक और कार्यात्मक पहलू परेशान या खराब हो जाते हैं। अभी तक ना तो इस विकार की पूरी जानकारी मिल सकी है और ना ही उसका कोई इलाज दर्ज किया गया है। इस मसले पर अभ्यास अभी भी जारी है।

इस विकार के कुछ लक्षण हैं:
1. इसमें मरीज को आवाजें सुनाई देने लगती हैं, जो कि वास्तव में कहीं नहीं होतीं।
2. मरीज हमेशा उदास रहता है।
3. मरीज को सोने में परेशानी होती है।
4. वह हमेशा अपने आप को मारने या ज़ख्मी करने की कोशिश करता है।
5. उसे लगता है कि लोग उसके खिलाफ बातें कर रहे हैं।

इस विकार की वजहें:
1. जेनेटिक्स (Genetics): शिज़ोफ्रेनिया की पारिवारिक इतिहास से खतरा बढ़ जाता है।
2. प्रारंभिक पर्यावरण (Early environment): बचपन या जवानी के दौरान तकलीफ़ तजुर्बात वाले घटनाक्रम जुड़ सकते हैं।
3. मादक पदार्थों का उपयोग (Drug use): मादक पदार्थों का उपयोग, खासकर भांग, शिजोफ्रेनिया पैदा होने के आसार को बढ़ा सकता है।

इस रोग के मरीजों की संख्या दुनिया भर में 24 मिलियन है। यह आम तौर पर महिलाओं और पुरुषों में बराबर अनुपात में होता है। इस रोग का पुरुषों में चरम पीरियड 15 से 25 वर्ष होता है और महिलाओं में 25 से 35 वर्ष होता है। इस रोग के बारे में एक अध्ययन में पता चला कि बसंत के आखिर से गर्मियों के मौसम में पैदा होने वाले लोगों में इसकी अधिक सम्भावना होती है। इस रोग में अधिकांश मौत आत्महत्या से होती है। अध्ययन से पता चलता है कि 50 प्रतिशत मरीज कम से कम दो बार आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं। बाकी 50 प्रतिशत नशे करने वाले होते हैं।
© Zakiya Kausar