...

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man's is great...
एक कंधे पर बोझ बहुत दिखता है

फीका फीका सा चेहरा मगर आंखों में तेज दिखता है कंधा मजबूत और दिल नाजुक सा लिए फिरता है।
ये मर्द बेवज़ह चक्की में पीसा जाता है सुबह शाम का कोई होश नहीं रहता,
सबकी उम्मीदों पर ये खरा उतरता हैं कभी मां का लाडला तो कभी जोरू का गुलाम कहलाता है।

फिर चाहे जितना ही बेचैन क्यों ना हो इनकी आंखों में कोई देख नहीं सकता
हुआ क्या है इन्हें यह किसी से कहते ही नहीं
जुबा पर कड़वाहट जितनी ज्यादा होती है,
दिल का दर्द उतना ही गहरा होता है

इन्हें भी पसंद है ढलती शाम के साथ ढल जाना
किसी की गोद में सिर रख कर सो जाना
कोई प्यार से गले इन्हें भी लगा ले
तुम ऑफिस मत जाओ यह कहकर अपने पास बिठा ले,
बड़े सिमटे से लगते हैं बड़े सुलझे से लगते हैं दिल इनका भी मोम का ही है बस जरा यह पत्थर दिल बनके रहते हैं और दिखावे की तो खूब दाद देनी पड़ेगी,

कभी हाल पूछ लो तो हां मैं ठीक हूं मजे में हूं कहकर बात टाल देते हैं कभी-कभी सोचती हूं जिस्म क्या लोहे का है इनका बदन चाहे बुखार से तप रहा हो लेकिन फ़िक्र इन्हे फिर भी अपनी होती नहीं है निकल पड़ते हैं

कमाने अपने हिस्से का आराम जो इन्हें वापस कभी मिलता ही नहीं है। और एक आखिरी बात एक जिस्म में ये कई किरदार निभाते हैं कभी भाई कभी पिता तो कभी हमसफर कहलाते हैं कितनी अजीब बात है ना जिम्मेदारी की बेड़ियों मैं गैर जिम्मेदार इंसान
का चोला पहने नजर आते हैं..!_P.s