एक लड़की का पहला प्यार
एक लड़की थी। कुदरत ने उसे ख़ूबसूरती देने में कोई कमी न की थी। अपने मातापिता की इकलौती जान थी वह!पढ़ाई करने के साथ-साथ उसे चित्रकारी करना बहुत पसंद था। प्रकृति के सुंदर-सुंदर दृश्यों को बड़ी ही बारीकी से अपने चित्रों में उतार लेती थी। अपने हुनर के चलते नन्ही उम्र में ही वह कई प्रतियोगिताओं की विजेता भी बनी। उसकी इस कला से बड़े-बड़े लोग भी प्रभावित हुए बिना ना रहते!
उन दिनों वह आठवीं क्लास में थी। उसके जीवन का तेरहवाँ वसंत चल रहा था। चारों तरफ खेतों में सरसों के पीले-पीले फूल खिले हुए थे। इन्ही खेतों के बीच में उसका स्कूल था। एक दिन वह क्लास में बैठकर एकाग्रता से कुछ याद कर रही थी कि तभी प्रधानाध्यापक अंदर आये। उनके साथ एक लड़का भी था। सब विद्यार्थी उन्हें देख उठ खड़े हुए।
उन्होने सबको बैठने के लिए कहा और साथ ही अपने साथ आये उस लड़के के बारे में बताया! जो लगभग पद्रंह साल का ,दिखने में साँवला,पर चेहरे पर बहुत तेज़ था। उसकी आँखों में भविष्य के ढेर सारे सपने थे। इतनी कम उम्र में उसने किताब लिख डाली थी..जिसके प्रचार,प्रसार के...
उन दिनों वह आठवीं क्लास में थी। उसके जीवन का तेरहवाँ वसंत चल रहा था। चारों तरफ खेतों में सरसों के पीले-पीले फूल खिले हुए थे। इन्ही खेतों के बीच में उसका स्कूल था। एक दिन वह क्लास में बैठकर एकाग्रता से कुछ याद कर रही थी कि तभी प्रधानाध्यापक अंदर आये। उनके साथ एक लड़का भी था। सब विद्यार्थी उन्हें देख उठ खड़े हुए।
उन्होने सबको बैठने के लिए कहा और साथ ही अपने साथ आये उस लड़के के बारे में बताया! जो लगभग पद्रंह साल का ,दिखने में साँवला,पर चेहरे पर बहुत तेज़ था। उसकी आँखों में भविष्य के ढेर सारे सपने थे। इतनी कम उम्र में उसने किताब लिख डाली थी..जिसके प्रचार,प्रसार के...