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नेताजी सुभाष चंद्र बोस,एक महानायक।
भारत देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस का 125वां जन्मदिन मना रहा है। भारत देश इनके जन्मदिन को "पराक्रम दिवस "के रूप में मना रहा है।
सच तो यह है कि यदि उनके कठोर परिश्रम, त्याग और बलिदान का समूचा आकलन किया जाए तो हमारी उनके प्रति यह कृतज्ञता महासागर को एक अंजलि भर जल अर्पित करने के समान होगी।
हर हिंदुस्तानी को आजाद हवा में सांस प्रदान करने का श्रेय, अपनी बात को आजादी से कहने का श्रेय नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जाता है।
हिंदुस्तान को आजादी दिलाने के लिए इन्होंने जापान और जर्मनी से सहयोग प्राप्त किया और 5 जुलाई 1943को सिंगापुर के टाउन हॉल के सामने "दिल्ली चलो"का नारा देकर ब्रिटिश सेना से बर्मा, इम्फाल और कोहिमा में लोहा लिया।

21अकटूबर 1943को बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के रुप में स्वतंत्र भारत की सरकार बनाई जिसे ग्यारह देशों की सरकारों ने मान्यता प्रदान की थी।
4जुलाई 1944कोनेताजी ने बर्मा में अपनी फौज को जोश भरते हुए नारा दिया, तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
काश उन्हें तत्कालीन रियासतों एवं राजनीतिज्ञों द्वारा समर्थन मिल जाता,तो हमारा देश 1947 से भी पहले आज़ाद हो जाता।
नेताजी की मृत्यु के बारे में कहा जाता है कि 18अगस्त1945को एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हुई।
इस विषय में उनके समर्थक एवं परिवार के लोग
सहमत नहीं हैं।उनका मानना है कि नेताजी उस विमान दुर्घटना के बाद भी जीवित थे।
उनके अनुसार, उनकी मृत्यु 1945 में नहीं हुई। यदि ऐसा हुआ होता, तौर उनकी मृत्यु से संबंधित सभी कागज सरकार सार्वजनिक कर देती।
भारत सरकार ने 18 सितम्बर 2022 को नई दिल्ली में राजपथ पर इनकी प्रतिमा का अनावरण किया था।
इस वर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में पूरे देश में मनाने का निर्णय किया गया है।
जितना भी हम माननीय नेताजी को सम्मानित कर सकें, वह कम है।
सच तो यह है कि यदि उनके योगदान को गिनवाया जाए तो अल्फाज कम पड़ जायेंगे।
हिंदुस्तान को आजादी के ऐसे सपूतों पर गर्व है।
जय हिंद, जय भारत। ।

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