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चूड़ियाँ
यह कहानी निशा की है निशा को चूड़ियाँ बहुत पसंद थी बचपन से ही, निशा के पास चूडियो का बहुत बड़ा कलेक्शन होता था निशा के पास हर रंग की हर डिज़ाइन की चूड़ियाँ होती थी, जिस दुकान पर निशा चूड़ियाँ लेने जाती थी वो अंकल जैसे ही नई चुडियो का कलेक्शन आता था, वो सबसे पहले निशा को फ़ोन करके बुलाते थे, निशा रंग बिरंगी चूड़ियों चूड़ियाँ बहुत पसंद थी, निशा की माँ हमेशा निशा से कहती थी चूड़ियों की इतनी दीवानी लड़की किसी ने नहीं देखि होंगी, जब भी कोई कही भी जाता था वहाँ से निशा के लिए चूड़ियाँ लेट थे, लेकिन निशा की खुशियाँ बस थोड़े समय के लिए थी ,निशा के पिता ने निशा की शादी बहुत जल्दी करवा दी, निशा ने कभी किसी की किसी बात को नहीं टाला था निशा ने अपने पापा की इस बात को ख़ुशी ख़ुशी मान लिया, रिश्ता पक्का होने के एक महीने बाद ही निशा की शादी हो गयी, शादी के एक महीने बाद ही निशा के ससुराल वालो ने उसे विदेश जाने के लिए इल्ट्स करने को कहा की तुम और निशा का पति विवेक की तुम और विवेक बाहर दूसरे देश चले जाओ यही इच्छा है, निशा ने ख़ुशी ख़ुशी तयारी करनी शुरू कर दी, निशा ने जब क्लास जाना शुरू किया उसके एक हफ्ते बाद ही उसका एक्सीडेंट हो गया, एक्सीडेंट के बाद निशा के दिल के आस पास पानी हो गया था, उसके ससुराल वालो ने उसके पति ने कहा वो पहले ही अपने घर से बीमार आयी थी दवाइयां बहुत महंगी थी हर महीने की, डॉक्टर ने एक दिन भी दवाइयां बंद करने से मना किया था वरना ऑपरेशन करना पड़ेगा, निशा ने सपने में नहीं सोचा था उसका पति उसके के साथ ऐसा करेगा उसने डॉक्टर के पास लेकर जाने को मना कर दिया की उसके पास टाइम नहीं है, निशा ने अपनी सास से कहा क्या वो क्लास से आते वक़्त डॉक्टर के पास चली जाए वो हॉस्पिटल रास्ते में ही आता है, उसने कहा विवेक के पास वक़्त नहीं है ना ही घर के किसी और मेंबर के वक़्त है इसलिए वो यह सोच रही थी, निशा की ये बात सुनकर उसकी सास उस पर चिलाने लगी और उसके घर फ़ोन कर दिया की ये अकेले डॉक्टर के पास जाने की बात कर रही है, निशा ने आगे से कुछ नहीं कहा, और कुछ दिनों बाद क्लास जाना वापिस शुरू कर दिया, विवेक निशा को पढ़ने नहीं देता था उसकी किताबें उठा कर बाहर फेंक देता था निशा को समझ नहीं आ रहा था इन लोगो ने खुद ही तो, निशा कमरे के बाहर बैठ कर पढ़ती पर पूरा ध्यान नहीं दे पाती थी घर का माहोल बहुत खराब हो चूका था, फिर कुछ महीनो बाद पेपर देने गयी, पेपर के बाद वो कुछ दिनों के लिए घर चली गयी, घर जाने के कुछ दिनों बाद जब रिजल्ट आया तो वो पास नहीं हुई थी, उसने अपने पति को फ़ोन किया, उसके पति ने उसे फ़ोन पर गालिया देना शुरू कर दिया उसके फैल होने पर, वो उसे लेने वही नहीं आया फिर अचनाक से उसका नंबर स्विच ऑफि हो गया था, वो बहुत डर गयी की क्या हो गया अचनाक से फ़ोन कैसे बंद हो गया, निशा के पापा ने निशा के ससुराल फ़ोन किया तो उन लोगो ने कहा उनके पास अभी टाइम नहीं है बाद में लेने आएंगे, कुछ दिनों के बाद पता चला की विवेक निशा को छोड़ कर विदेश चला गया, निशा के ससुराल वालो ने बिना किसी को कुछ बताए विवेक को विदेश भेज दिया और बार बार फ़ोन करने पर और हार जगह फ़ोन करने पर एक दिन विवेक का फोन निशा को आया उसने कहा वो उसकी कुछ नहीं लगती और वो उसे डाइवोर्स देता है उसका उससे अब कोई रिश्ता नहीं, निशा के पैरों तले से ज़मीन निकल गयी, की उसकी क्या गलती थी वो फेल हो गयी सिर्फ इसलिए उसके पति ने उसका हाथ छोड़ दिया,निशा चुप चाप रहने लगी थी, उसके घरवालों की नज़र भी बदल गयी थी, अचानक से उनके रिलेटिव में किसी की शादी थी निशा ने सबसे कहा की वो नहीं जाना चाहती पर सब ने फाॅर्स किया निशा की माँ ने निशा को कहा की शॉपिंग कर ले जो लेना है ले आये निशा शॉप में गयी तो अंकल ने कहा निशा बेटा चूड़ियों के नए डिज़ाइन आये है देखो जैसी तुम्हे पसंद है वैसी चूड़ियाँ है, निशा चूड़ियों की तरफ हाथ बढ़ाते बढ़ाते रुक गयी निशा को लगने लगाया अब उसको चूड़ियाँ पहनने का कोई हक़ नहीं है, उसके पति ने उसका हाथ छोड़ दिया अब वो एक डाइवोर्स है उसे कोई हक़ नहीं है चूड़ियाँ पहनने का निशा वहाँ से चली गयी और घर आ कर जब उसने अपनी अलमारी खोली तो उसमे वो सारी चूड़ियाँ थी जो शादी से पहले उसने ली थी, अचानक से इतने दिन बाद वो चूड़ियाँ उसके सामने आयी, निशा फुट फुट कर रोने लगी उसकी क्या गलती थी क्यों उसके पति ने उसके साथ ये किया, की उसके चूड़ियाँ पहनने का हक़ भी ले लिया, निशा खुद से सवाल पूछने लगी क्या सच में उसे हक़ नहीं अब चूड़ियाँ पहनने का जब वो उसकी ज़िन्दगी में नहीं था तब भी तो वो चूड़ियाँ पहनती थी , उसके पास उसके किसी सवाल का कोई जवाब नहीं था क्या निशा कभी दुबारा चूड़ियाँ पहन पायेगी क्या वो कभी अपने मन को समझा पायेगी की उसकी कोई गलती नहीं थी, क्या वो कभी चूड़ियाँ वापिस पहन पायेगी, क्या उसकी ज़िन्दगी फिर से खुशियों से भर पायेगी.



© नेहा शर्मा