...

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पहली नज़र का प्यार
उससे महस पहली नज़र हि तो देखा था
उसके आगे ये जहान, यह समा सब कुछ फीका लगने लगा था,
मेरे आँखों के सामने अब बस
उसका हि मुस्कुराता चेहरा नज़र आता था
मानो मौसम भी कुछ रोमांटिक सा हो गया कि
मेरे साथ साथ वो भी उसके हुस्न का मरीज हो गया था

मुझे पहली नज़र में उससे प्यार हो गया...!

उसकी जुल्फें उसके गालों से टकरा रही थी
उस चांद से मुखड़े को उसकी जुल्फें
शायद थोड़ी सता रही थी
वो बड़ी सिद्धत से अपनी उँगलियों से
अपनी जुल्फों को अपने चेहरे से हटा रही थी
मानो हवाओ को उसके जुल्फों से खेलने में मज़ा आ गया था
यह सब देख मेरा दिल अब थोड़ा थोड़ा पिघलने लगा था

मुझे पहली नज़र में उससे प्यार हो गया था..!

उसके होंठ गुलाब की तरह खिले हुए थे
हुस्न मानो मखमल से तराशा हुआ था
चेहरे की रौनक किसी रौशनी से भी ज्यादा चमक रही थी,
जब वो पलके झुका के थोड़ा शर्मा के मुस्कुरा रही थी,
खुदा कसम उसकी इस अदा पर मैं फ़िदा हो गया था,

हाँ शयद मुझे पहली नजर में उससे प्यार हो गया था..!

उसे देखा पड़िया इस जहाँ में भी होती है
बचपन में सुनी कहानियां अब सच हो रही थी
मानो मेरे ज़िंदगी का अधूरा ख्वाब अब पुरा हो रहा था
मेरे दिल से दिमाग़ तक अब उसका हि बसेरा हो रहा था,
मेरी धड़कने एक बार में सौ बार धड़क रहा था,
उसकी नज़रो में मेरा क़त्लेआम् हो गया था,
मैं काम का आदमी बेकार हो गया था

शायद मुझे पहली नज़र में उस पगली से प्यार हो गया था....!

इधर मैं अपने प्यार की ख्वाब सजा हि रहा था
की पल भर मे सब गया सा गया
वो धीरे धीरे किसी ओर के करीब जा रही थी
मेरे नज़रो के सामने वो किसी ओर के बांहों लग रही थी
यह देख मानो मैं ज़िंदा लाश हो गया था
हवाओं ने भी अपना रुख़्त बदल लिया था,

मानो रौशनी भी कभी गुम सी हो गई थी,
ओर अंधेरा भी छा गया था
फिर वो देख मुझे रोना आ गया था
तभी दिमाग़ दिल को समझा रहा था
वो किसी ओर की है पागल
बेवजह तु हि उसे अपना ख्वाब बना रहा था,
पहली नज़र का प्यार
पहली नज़र मे हि ख़त्म हो गया था,
शायद मैं कोई सपना देख रहा था..!

अमृत..
© अmrit...