...

7 views

रोएगी तो मारूंगी
बचपन में लगी चोट दिखाना आसान होता था। अब कितना मुश्किल होता है ना स्वीकार करना कि चोट लगी है और दर्द हो रहा है।
ज़ख्म पर मरहम लगाने से अधिक मुश्किल होता है, उस ज़ख्म को सबसे छुपाना। बचपन में लगी एक छोटी खरोंच भी रुला देती थी।
सौ बार बताते थे.. 'यहाँ इस जगह लगी है'!
'हाँ! दर्द हो रहा है'!
मगर बड़े होते ही अगर ज़ख्म गहरे भी हों तो उसके...