जय श्री श्याम बाबा
इस वक्त का क्या भरोसा , यह सोचने का आज तक वक्त ही नहीं मिला ।
मिला वक्त जब सोचा तो वक्त पर भरोसा ही ना रहा
सब वक्त वक्त की बात है लेकिन कोनसा वक्त
जो चल रहा हे या जो चला गया या फिर उस वक्त की बात चल रही है जो आने वाला हे ।
में जीना चाहता हु इस वक्त की बातो से दूर
क्युकी वक्त में कमजोरी , ताकत और रोना तीनो का आवागमन हे।
जब वक्त अच्छा चल रहा होता है तो हमे हमसे ताकतवर कोई नही लगता है और जब वक्त खराब आने लगता है तो हम रोना शुरू कर देते हे । और जब वक्त खराब आ जाता है तो हम लगता है की हमसे कमजोर कोई इस दुनिया में ही नही हे। इसलिए में इस वक्त की उलझनों से दूर निकलना चाहता हु क्युकी वक्त में नही इसकी अवस्था में बदलाव आया हे लेकिन हमे ताकतवर से कमजोर बना कर रुला देता है ।
© मेरे शब्द मुफ्त के हे क्युकी इनकी सही कीमत कोई नही लगा सकता है ।
मिला वक्त जब सोचा तो वक्त पर भरोसा ही ना रहा
सब वक्त वक्त की बात है लेकिन कोनसा वक्त
जो चल रहा हे या जो चला गया या फिर उस वक्त की बात चल रही है जो आने वाला हे ।
में जीना चाहता हु इस वक्त की बातो से दूर
क्युकी वक्त में कमजोरी , ताकत और रोना तीनो का आवागमन हे।
जब वक्त अच्छा चल रहा होता है तो हमे हमसे ताकतवर कोई नही लगता है और जब वक्त खराब आने लगता है तो हम रोना शुरू कर देते हे । और जब वक्त खराब आ जाता है तो हम लगता है की हमसे कमजोर कोई इस दुनिया में ही नही हे। इसलिए में इस वक्त की उलझनों से दूर निकलना चाहता हु क्युकी वक्त में नही इसकी अवस्था में बदलाव आया हे लेकिन हमे ताकतवर से कमजोर बना कर रुला देता है ।
© मेरे शब्द मुफ्त के हे क्युकी इनकी सही कीमत कोई नही लगा सकता है ।
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