एक साल
आज घर से निकले हुए पूरे एक साल हो गए है, पिछली दिपावली के दो दिन पहले ही मैं घर से दूर बाहर शहर में निकाला था, हालांकि मुझे शहर पसंद नही है और पसंद क्यों नही है उसके ढेर सारे कारण है...! खैर इस बात को छोड़ते है..!!
घर रहते रहते ऐसा लग रहा था की जिंदगी रुक सी गई है और किताबों से उलझते उलझते जिंदगी सुलझने का नाम ही नहीं ले रही थी; कुछ नया सीखने के इरादे से मैं पहली बार दिल्ली पहुंचा, हालांकि इसके पहले मैं दिल्ली रेलवे स्टेशन का दीदार 2015 में कर चुका था(एग्जाम के सिलसिले में उस समय मैं पानीपत से घर जा रहा था तब ट्रेन कुछ मिनट के लिए रुकी थी) ..!!
मम्मी को लगता था की मैं नाराज होकर घर से बाहर जा रहा हूं...
घर रहते रहते ऐसा लग रहा था की जिंदगी रुक सी गई है और किताबों से उलझते उलझते जिंदगी सुलझने का नाम ही नहीं ले रही थी; कुछ नया सीखने के इरादे से मैं पहली बार दिल्ली पहुंचा, हालांकि इसके पहले मैं दिल्ली रेलवे स्टेशन का दीदार 2015 में कर चुका था(एग्जाम के सिलसिले में उस समय मैं पानीपत से घर जा रहा था तब ट्रेन कुछ मिनट के लिए रुकी थी) ..!!
मम्मी को लगता था की मैं नाराज होकर घर से बाहर जा रहा हूं...