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गुलाब और कमल
ख़्वाबों के गुलाब हैं और हक़ीक़त का कमल,
दोनों ही गुलिस्तां के हैं हसीं बाग़ों के पहल।

गुलाब के रंग में बसी है मोहब्बत की महक,
उसकी हर पंखुड़ी में है चाहत की चमक।

कमल के पास है पाकीज़गी का साया,
कीचड़ में खिलकर भी है अपना रंग पाया।

गुलाब की अदाओं में है इश्क़ की गहराई,
उसकी खुशबू से महकती है पूरी अंगनाई।

कमल की ख़ामोशी में है एक अलग नूर,
संसार से बेख़बर, है वो अपनी धुन में मशहूर।

गुलाब की ठंडी हवाओं में है एक सुकून,
उसके पास बैठे तो भूल जाते हैं सब जुनून।

कमल की मखमली पत्तियों में है छुपा राज़,
उसकी सुंदरता में है छिपी सृष्टि की आवाज़।

गुलाब का नशे में है एक मीठा सा ख़ुमार,
उसकी खुशबू में है बसती मोहब्बत हर बार।

कमल का सुकून है जैसे एक नूरानी रात,
उसकी सादगी में है छिपा खुदा का साथ।

तो कहो कैसे करें इनका फैसला,
गुलाब और कमल, दोनों ही हैं वक़्त के हसीं किस्से
© ऋत्विजा