मैं और बुधन
मेरे दोस्त बुधन ने आकर मुझे कहा "ये कौनसी किताब पढ़ रहे हो ? "
मैं "बुधन , ये किताब नहीं ईश्वरीय सन्देश है , जो खुद ईश्वर ने ५००० -७००० वर्षो पूर्व हमें दिया था "
बुधन " अरे ये क्या पुरानी किताब पढ़ रहे हो , मुझे अभी अभी दो लोगो ने दो अलग अलग किताबे दी है , दोनों किताबे ईश्वर के संदेश की नवीनतम आवृत्ति है , ईश्वर का संदेश सिर्फ २००० साल पुराना "
मैं " अरे वाह , ये बहोत अच्छी बात है , तो क्या ये ईश्वर ने खुद कह कर बताए ?"
बुधन " नहीं , कहते है , ये दोनों संदेश , ईश्वर के दो अलग अलग संदेशवाहक ने दिए , एक ने ये हरी किताब दी और दूसरे ने भूरी किताब दी "
मैं " पर बुधन , अगर ईश्वर खुद आकर हमें संदेश दिया , फिर अब संदेशवाहक के जरिये ये अलग संदेश देने की क्या जरुरत ? क्या वो संदेशवाहक विश्वशनीय है या हमारे यहाँ जैसे हर हर चौथा बाबा अपने को ईश्वर बताता है वैसा ही है ? मैं ईश्वर के संदेशवाहक के संदेश को सही मानु या खुद ईश्वर के ?"
बुधन " बार बार ईश्वर क्यों आएंगे ? कैसे...
मैं "बुधन , ये किताब नहीं ईश्वरीय सन्देश है , जो खुद ईश्वर ने ५००० -७००० वर्षो पूर्व हमें दिया था "
बुधन " अरे ये क्या पुरानी किताब पढ़ रहे हो , मुझे अभी अभी दो लोगो ने दो अलग अलग किताबे दी है , दोनों किताबे ईश्वर के संदेश की नवीनतम आवृत्ति है , ईश्वर का संदेश सिर्फ २००० साल पुराना "
मैं " अरे वाह , ये बहोत अच्छी बात है , तो क्या ये ईश्वर ने खुद कह कर बताए ?"
बुधन " नहीं , कहते है , ये दोनों संदेश , ईश्वर के दो अलग अलग संदेशवाहक ने दिए , एक ने ये हरी किताब दी और दूसरे ने भूरी किताब दी "
मैं " पर बुधन , अगर ईश्वर खुद आकर हमें संदेश दिया , फिर अब संदेशवाहक के जरिये ये अलग संदेश देने की क्या जरुरत ? क्या वो संदेशवाहक विश्वशनीय है या हमारे यहाँ जैसे हर हर चौथा बाबा अपने को ईश्वर बताता है वैसा ही है ? मैं ईश्वर के संदेशवाहक के संदेश को सही मानु या खुद ईश्वर के ?"
बुधन " बार बार ईश्वर क्यों आएंगे ? कैसे...