...

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तेरा हो सकता हूँ मै ।
हाँथ पकड़ ले अब भी तेरा हो सकता हूँ में ,
भीड़ बहुत है इस मेले में खो सकता हूँ मै ।

पीछे छुटे साथी मुझको याद आ जाते है ,
वरना दौड़ में सबसे आगे हो सकता हूँ मै ।

कब समझेंगे जिसकी खातिर फूल बिछाता हूँ ,
इन रास्ते पर कांटे भी तो वो सकता हूँ मै ।

इक छोटा सा बच्चा अब भी मुझमें ज़िंदा है ,
छोटी- छोटी बात पर अब भी रो सकता हूँ मै ।

सन्नाटे मे दहशत हर पल गुंजा करती है ,
इस जंगल मे चैन से कैसे सो सकता हूँ मैं ।

सोच समझ कर चट्टानों से उलझा हूँ वरना ,
बहती गंगा में हाँथो को धो सकता हूँ मै ।