मौनता ! "
" एक बार एक प्रदेश के राजा के घर एक राजकुमार का जन्म हुआ। लेकिन राजकुमार जन्म से ही बहुत कम बोलने वाला था | राजकुमार जब जवान हुआ, तब भी अपनी उसी आदत के साथ वह हमेशा मौन ही रहता था |राजा अपने राजकुमार की चुप्पी से हमेशा परेशान रहते थे । राजा को हमेशा यही चिंता सताती थी कि आखिर ये बोलता क्यों नहीं है ?? राजा ने कई ज्योतिषियों औऱ चिकित्सकों से परामर्श लिया लेकिन फ़िर भी कोई कारगर हल नहीं निकला | संतो ने कहा कि हमें ऐसा प्रतीत होता है कि पिछले जन्म में ये राजकुमार कोई साधु थे जिस वजह से इनके संस्कार इस जन्म में भी साधुओं के मौन व्रत जैसे हैं ।लेकिन राजा ऐसी बातों से संतुस्ट नहीं हुए । एक दिन राजकुमार को राजा का एक मंत्री बगीचे में टहला रहे थे । अचानक उसी समय एक कौवा पेड़ कि डाल पर बैठकर कांव कांव करने लगा | मंत्री ने सोचा कि कौवे कि आवाज से राजकुमार परेशान होंगे इसलिए मंत्री ने अपना तमंचा निकाला और कौवे को तुरंत गोली मार दी |गोली लगते ही कौवा जमीन पर गिर गया | पूरा दृश्य देख राजकुमार बेहद दुखी मन से कौवे के पास जा कर बोले कि यदि तुमने अपनी ज़बान नहीं खोली होती तो आज नहीं मारे जाते |इतना सुन कर मंत्री बड़ा खुश हुआ कि राजकुमार ने आज अपनी ज़बान खोली है और उसने तत्काल ही राजा के पास ये खबर पहुंचा दी | ये सुन राजा भी बहुत खुश हुआ और मंत्री को खूब सारा उपहार दिया । लेकिन फ़िरभी कई दिन बीत जाने के बाद भी राजकुमार चुप ही रहते थे । राजा को मंत्री की बात पर संदेह हो गया और गुस्से में राजा ने मंत्री को फांसी पर लटकाने का हुक्म दिया | इतना सुन कर मंत्री दौड़ते हुए राज कुमार के पास आया और गिड़गिड़ाते हुए बोला कि उस दिन तो बगीचे में आप बोले थे ,परन्तु अब नहीं बोलते हैं ,ऐसा क्यों?? मैं तो कुछ देर में राजा के हुक्म से फांसी पर लटका दिया जाऊंगा,अगर आपने कुछ नहीं बोला ।मंत्री कि बात सुनकर राजकुमार ने बेहद गंभीरता से कहा कि यदि तुम भी बिना वज़ह नहीं बोले होते तो आज तुम्हें भी फांसी का हुक्म नहीं होता | बे मतलब का बोलना ही बंधन है | जब भी बोलो उचित और सत्य बोलो अन्यथा मौन रहो | जीवन में बहुत से विवाद का मुख्य कारण अत्यधिक बोलना ही है । एक चुप्पी हज़ारों कलह का नाश करती है |राजा छिप कर राजकुमार कि ये बातें सुन रहा था, उसे भी इस बात का ज्ञान हुआ और राजकुमार को पुत्र रूप में प्राप्त कर गर्व भी हुआ | उसने मंत्री को फांसी मुक्त कर दिया |
Moral:-
" Silence is better than any
Un- meaningful Words!"
from the past memories of
© F#@KiRa BaBA
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