प्यार निभाते चलो💞👫💞
रस्में उल्फत शिद्दत से निभाते चलो,
दिलों जां एक दूजे पर, लुटाते चलो.
राह मुश्किल है जिंदगी की तो क्या,
साथ मिलके, हंसते मुस्कुराते चलो.
मैं, मैं का अहंकार बाजू में रखकर,
दुरिया दिलों की जरा मिटाते चलो.
एक दूसरे की ही फिक्र में बीते उम्र,
चिराग़ जैसे, खुद को जलाते चलो.
कैसे, की जाती है मोहब्बत, यारों,
दुनिया को भी जरा, दिखाते चलो.
💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞
डूबे हम, इस कदर इश्क ए बेखुदी में,
आसमां में उड़े, पांव धरे नहीं जमीं में.
जिससे मिले, जहां तलक जाए नज़र,
अब वो ही नज़र आते है हर किसी में.
दर्दो गम का कोई निशान तक न रहा,
मोहब्बत के रंग भर गए है जिंदगी में.
नींद गई, चैन भी तो खो गया है अब,
उफ्फ, मैं, मैं ना रही इस आशिकी में.
जहां के, नजारों से, प्यारा वो चेहरा,
हाय ! मैं खो गई, उसकी, सादगी में.
गम के अंधेरे में भटक रही थी तन्हा,
वो क्या मिले, मैं, आ गई, रोशनी में.
💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞
© एहसास ए मानसी
दिलों जां एक दूजे पर, लुटाते चलो.
राह मुश्किल है जिंदगी की तो क्या,
साथ मिलके, हंसते मुस्कुराते चलो.
मैं, मैं का अहंकार बाजू में रखकर,
दुरिया दिलों की जरा मिटाते चलो.
एक दूसरे की ही फिक्र में बीते उम्र,
चिराग़ जैसे, खुद को जलाते चलो.
कैसे, की जाती है मोहब्बत, यारों,
दुनिया को भी जरा, दिखाते चलो.
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डूबे हम, इस कदर इश्क ए बेखुदी में,
आसमां में उड़े, पांव धरे नहीं जमीं में.
जिससे मिले, जहां तलक जाए नज़र,
अब वो ही नज़र आते है हर किसी में.
दर्दो गम का कोई निशान तक न रहा,
मोहब्बत के रंग भर गए है जिंदगी में.
नींद गई, चैन भी तो खो गया है अब,
उफ्फ, मैं, मैं ना रही इस आशिकी में.
जहां के, नजारों से, प्यारा वो चेहरा,
हाय ! मैं खो गई, उसकी, सादगी में.
गम के अंधेरे में भटक रही थी तन्हा,
वो क्या मिले, मैं, आ गई, रोशनी में.
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© एहसास ए मानसी