...

96 views

प्रकृति की लुका छिपी

खुशनुमा धुप चारों ओर बिखरी हुई है, खिली - खिली सी, आलोक से वातावरण आच्छादित है; वातावरण में कुछ ऐसा भाव है जैसे किसी अपने में ही मगन खेलते हुए शिशु के चेहरे पर हो। सब आल्हादकारी है, फिलहाल तो!

पर अचानक जैसे शिशु को कुछ याद आ जाये और उसके चेहरे के भाव में बदलाव आ जाए, वातावरण कुछ बदल रहा है ...

धुप सिमट सी गई है, हवा में उड़ता दुपट्टा कोई समेट ले जैसे । आलोक कुछ बुझता सा जा रहा है, प्रकाश योजना का मानों कोई दिव्य प्रयोग हो, अचानक शीतल बयार बहने लगी है , पत्तों की सरसराहट , मंद रोशनी वातावरण को रहस्यमय बना रहे हैं; आसमान में गतिविधियां तेज हो गई है मेघ कुछ श्वेत, कुछ श्याम मुस्तैदी से अपनी अपनी जगह पर तैनात हो रहें हैं , बीच-बीच में बिजली कौंध कर वातावरण को और रहस्यमय बना रही है अब वाद्य भी बजने लगे हैं गड़गड़ाहट और तीव्र ध्वनि से वातावरण गुंजायमान हो उठा है

ऐसा लग रहा है जैसे किसी का इंतजार है यह सब उसके स्वागत में हो रहा है।

कुछ क्षण और गुजरते हैं और फिर ... खनकते हुए .... सुकून की लहरें लिए आगमन हो चुका है वर्षा रानी का... शुरू में धीमे-धीमे जैसे नया खिलाड़ी वातावरण से अभ्यस्त हो रहा हो... पर ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी है जल्द ही बुंदाबांदी से मध्यम और फिर तीव्र वर्षा होने लगी है। सब वर्षामय हो रहा है ... जलमय, जलमय जैसे सबको अपने आगोश में ले लेगी।

वातावरण स्वच्छ, निर्मल, शीतल हो चला है । मंत्रमुग्ध, आत्मविभोर हो अचानक मुझे अपने होने का अहसास होता है... क्षण भर के लिए ... और पुनः मैं इन‌ दृश्यों में एकाकार हो जाता हूं। घनघोर वर्षा से बिना छाता लेकर आए सिर‌ छुपाने के लिए यहां वहां यूं भाग रहे है मानों ज्यादा देर वर्षा में रुक गये तो कहीं पिघल न जाए ,वही सड़क के किनारे विद्युत वाहिनी के लिए भुमी खोद रहे दो मजदूर ऐसे काम करते है जैसे वर्षा का उनके लिए कोई वजूद ही न हो।

जब ऐसा लगने लगा था कि अब सब कुछ ऐसा ही होगा, वर्षा रानी लौटने का मन बना लेती हैं जितनी तेजी से आईं थीं वैसे ही लौट भी जाती हैं वातावरण तेज़ी से बदलता है जैसे कोई समारोह सम्पन्न हो गया है मेघ छट रहें हैं हवा सामान्य हो गई है बिजली व‌ गड़गड़ाहट थम‌ चुके हैं ...

आलोक पुनः चारों ओर छा गया है खुशनुमा धुप धीरे-धीरे फिर वातावरण को आच्छादित कर रही है। शिशु पुनः अपने खेल में ‌निमग्न है। यह कहना मुश्किल है कि अभी कुछ देर पहले ही घनघोर वर्षा हो रही थी।

प्रकृति की अलौकिकता , सामर्थ्य को शत् शत् नमन 🙏.

फिर मिलेंगे 'सुकुन' के और कुछ पलों के साथ ....
© aum 'sai'