...

3 views

शर्त
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।
शाम का वक्त था, हवेली का बगीचा सुनसान पड़ा था। चंदन ने मौका देख कर दीवार फांदी और पेड़ों की ओर बढ़ा। पेड़ों पर लगे आम उसकी पहुँच से थोड़े दूर थे। चंदन ने एक पत्थर उठाया और निशाना साधा। पत्थर के लगते ही पहला आम नीचे गिरा। चंदन खुश हो गया और जल्दी-जल्दी आमों को इकट्ठा करने लगा।लेकिन, जैसे ही वह पाँच आम इकठ्ठे कर चुका था, उसे एक आवाज सुनाई दी। वह मुड़कर देखा तो वहां बगीचे का माली खड़ा था। माली ने उसे गुस्से में देखा और चिल्लाया, "अरे तू कौन है? यहां क्या कर रहा है?"चंदन घबरा गया, पर उसकी होशियारी ने उसे बचा लिया। उसने जल्दी से एक बहाना बनाया और बोला, "बाबा, मैं तो बस थोड़े आम लेने आया था, घर पर मेहमान आए हैं।" माली ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और उसे डांटते हुए वहां से भगा दिया।चंदन ने सोचा, "आधे आम तो मैं तोड़ ही चुका हूँ, अब वापस जाऊंगा तो हार जाऊंगा।" उसने हिम्मत जुटाई और फिर से दीवार फांदकर बगीचे में घुसा। इस बार उसने सावधानी से काम लिया और बिना माली को दिखाई दिये बाकी के आम तोड़ लिए।आनंद के पास वापस पहुँचकर चंदन ने गर्व से दस आम दिखाए। आनंद ने हंसते हुए कहा, "तूने ये शर्त भी जीत ली, शर्तिया चंदन!"इस तरह, चंदन ने अपनी आदत से एक और शर्त जीत ली, लेकिन उस दिन उसने सीखा कि हर शर्त जीतने के लिए उसे अपनी होशियारी और साहस का इस्तेमाल करना ही पड़ेगा।
© raka