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#ठंड और भेड़
बात यों थी, कि.. उस दिन राजनीतिक पार्टियों का प्रचार कार्य जोर शोर से चल रहा था..! जंगल में शेर और हाथी तो मजबूत उम्मीदवार थे ही, लेकिन भेड़ और बकरियां भी अपने अपने दावे ठोंक रहे थे ।

अब शेर ने गरजकर मत मांगते हूए कहा, कि "मैं अगले ठंड से पहले आप सभी के घर कंबल पहूंचा दूंगा.! और आप सभी मुझे ही मत देकर जीताना।"

नतीजे नीकले, शेर जीत गया और भेड़ के नेता ने अपने कंबल देने के वादे को दूहराया तो शेर का पी. ए. हंसते हूए बोला... "इतने सारे कंबल तो कहां से लाएंगे...? जबकि तूम्हारी तादाद ज्यादा है और मुकाबले में तुम्हारे 'मत' कम..!!? "

समजदार भेड़ बुजुर्ग चुपचाप वहाँ से खिसक गया ।

जाति धर्म प्रदेश भाषा और रीश्तों पर आधारित राजनीति देश और लोकतंत्र के लिये खतरा रूप है..................
लेकिन...
बहुमत लोकतंत्र की शक्ति भी है और मर्यादा भी ।
समजदार बनें 🙏
लोकतंत्र के प्रहरी बनें✌️👍
🙏😂😅
© Bharat Tadvi