समय
महाभारत के समय की एक अदभुत बात है कि जो हमे समय की और अपने जीवन की सबसे अच्छी सिख प्रदान करती है ।
की महाभारत का 11 वा दिन आता है और अर्जुन को पता चलता है कि कर्ण युद्ध भूमि में आने वाले है । तब अर्जुन को अधिक व्याकुलता और बेचैनी रहेती है कि में अब कर्ण को युद्ध भूमि में आते ही परास्त कर दूंगा और 11 और 12 दिन के सुर्यास्त से पहले उसका वध कर दूंगा ।
तब यही बात वो भगवान श्री कृष्णा को बताते है कि में कर्ण का वध 11 और 12 दिन कर दूंगा और में विश्व का सबसे अच्छा धर्नुधारी हु वो सिद्ध कर दिखाउंगा ।
तब भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को मना करते है और कहते है कि अभी वक्त नही है इसलिए तुम ऐसी चिंता ना करो जो तुम्हे मुश्किल में दाल दे और गलत परिस्थिति उत्पन कर दे ।
तब अर्जुन को ये बात समझ ही नही आती की माधव ऐसा क्यों कह रहे है क्या में कर्ण से कर्ण से अच्छा धनुधारी नही हु या कर्ण से कम शक्ति में हु या में कर्ण को नही हरा सकता और यही बात अर्जुन को हैरान परेशान कर देती है ।
तब 11 दिन का सूर्योदय होता है और युद्ध का शंखनाद होता है और अर्जुन भगवान कृष्ण से बारबार कहते है कि आप कर्ण की और रथ ले चले और मुझे युद्ध करने दे । तब भगवान कृष्ण बारबार उसे मना कर देते है और बारबार मना करने से कर्ण से युद्ध करने की इच्छा और बढ़ जाती है और यही इच्छा अर्जुन को हैरान और परेशान करती है ।
तब मध्यान का समय होता है भोजन करने का समय होता है और सब भोजन करने के लिए जाते है । तब अर्जुन को भोजन में इच्छा नही रहती और वो कर्ण से युद्ध करने निकल पड़ता है । और उसके रथ में भगवान कृष्ण की जगह कोई और सारथी होता है ।
और यही बात कौरव सेना में पता चलती है कि अर्जुन युद्ध करने आ रहा है तब शकुनि कर्ण से कहते है कि तुम अर्जुन को जाके रोको और युद्ध करके उसे मार दो और अभी अर्जुन के साथ भगवान कृष्ण भी नही है तो तुम उसे सरल तरीके से हरा सकते हो और सबसे अच्छा धनुधर तुम बन सकते हो और अपनी इच्छा पुरी कर सकते हो ।
तब कर्ण पहले तो मना कर देते है कि में भगवान कृष्ण जब उसके रथ पे होंगे तब युद्ध करूँगा और अपनी योग्यता का परिचय दूंगा और सबसे अच्छा धनुधर बनके दिखाउंगा । तब दुर्योधन कहतें है कि कर्ण ऐसी मूर्खता ना करो और...
की महाभारत का 11 वा दिन आता है और अर्जुन को पता चलता है कि कर्ण युद्ध भूमि में आने वाले है । तब अर्जुन को अधिक व्याकुलता और बेचैनी रहेती है कि में अब कर्ण को युद्ध भूमि में आते ही परास्त कर दूंगा और 11 और 12 दिन के सुर्यास्त से पहले उसका वध कर दूंगा ।
तब यही बात वो भगवान श्री कृष्णा को बताते है कि में कर्ण का वध 11 और 12 दिन कर दूंगा और में विश्व का सबसे अच्छा धर्नुधारी हु वो सिद्ध कर दिखाउंगा ।
तब भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को मना करते है और कहते है कि अभी वक्त नही है इसलिए तुम ऐसी चिंता ना करो जो तुम्हे मुश्किल में दाल दे और गलत परिस्थिति उत्पन कर दे ।
तब अर्जुन को ये बात समझ ही नही आती की माधव ऐसा क्यों कह रहे है क्या में कर्ण से कर्ण से अच्छा धनुधारी नही हु या कर्ण से कम शक्ति में हु या में कर्ण को नही हरा सकता और यही बात अर्जुन को हैरान परेशान कर देती है ।
तब 11 दिन का सूर्योदय होता है और युद्ध का शंखनाद होता है और अर्जुन भगवान कृष्ण से बारबार कहते है कि आप कर्ण की और रथ ले चले और मुझे युद्ध करने दे । तब भगवान कृष्ण बारबार उसे मना कर देते है और बारबार मना करने से कर्ण से युद्ध करने की इच्छा और बढ़ जाती है और यही इच्छा अर्जुन को हैरान और परेशान करती है ।
तब मध्यान का समय होता है भोजन करने का समय होता है और सब भोजन करने के लिए जाते है । तब अर्जुन को भोजन में इच्छा नही रहती और वो कर्ण से युद्ध करने निकल पड़ता है । और उसके रथ में भगवान कृष्ण की जगह कोई और सारथी होता है ।
और यही बात कौरव सेना में पता चलती है कि अर्जुन युद्ध करने आ रहा है तब शकुनि कर्ण से कहते है कि तुम अर्जुन को जाके रोको और युद्ध करके उसे मार दो और अभी अर्जुन के साथ भगवान कृष्ण भी नही है तो तुम उसे सरल तरीके से हरा सकते हो और सबसे अच्छा धनुधर तुम बन सकते हो और अपनी इच्छा पुरी कर सकते हो ।
तब कर्ण पहले तो मना कर देते है कि में भगवान कृष्ण जब उसके रथ पे होंगे तब युद्ध करूँगा और अपनी योग्यता का परिचय दूंगा और सबसे अच्छा धनुधर बनके दिखाउंगा । तब दुर्योधन कहतें है कि कर्ण ऐसी मूर्खता ना करो और...