...

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ज़ख़्म देते गए वो जिस तरह 💔
हमारे लफ़्ज़ों को तुम समझ नहीं पाए।।

काश मैं जिंदा होता।।
तो दूर ना होते यूं तुम हमसे।।

हम खफा थे तुमसे।।
लव ना सीए होते इस तरह हमसे।।

कश्ती भी डूब चुकी थी।।
तेरे ना होने के गम से।।

मंजिलों ने भी रास्ते मोड लिए।।
तेरे ना मिलने के हमसे।।

यादों से गुफ्तगू करने लगे थे हम।
तेरे इस शहर से चले जाने पे।।

।। अब लिखते भी तुम्हें खत क्या लिखते।।

।।। तुमने जला दिए खत नजरें चुराकर हमसे।।

वो मिलोगे भी तो किस नजरों से।।

‌ ‌।। ना यह नज़रें रहें ना यह लफ्ज़ रहे।।

।। तुम्हें देखने और समझने के लिए।।




््। वृंदा ््।✍️❤️