निर्णय
#भविष्यकारास्ता
#भविष्यकारास्ता
ठंड बहुत तेज थी। खिड़कियां सारी बंद तो है। निशा कमरे के चारों ओर घूम_घूम कर देख रही थी। सारे पर्दे उसने ठीक से लगा दिए थे। अब वो पहले अंश को रजाई से अच्छीे तरह से ढकती है। उसे ठंड नहीं लगनी चाहिए। मां ने उसे अच्छे से समझाया है कि छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम से बहुत तकलीफ होती है। उन्हें ठंड से अच्छी तरह से बचा कर रखना चाहिए।
अंश के साथ ही निशा की भी आंख लग जाती है। वो पुराने दिन कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला। जब मां हर दिन की तरह सुबह तड़के ही उठकर घर की पूजा_पाठ निपटा कर..घर के काम में लग जाती थी। इस बीच दादी कई बार ताने_उलाहने देती लेकिन मां बिना उफ्फ किए सबकी सेवा सत्कार करती रहती।...
#भविष्यकारास्ता
ठंड बहुत तेज थी। खिड़कियां सारी बंद तो है। निशा कमरे के चारों ओर घूम_घूम कर देख रही थी। सारे पर्दे उसने ठीक से लगा दिए थे। अब वो पहले अंश को रजाई से अच्छीे तरह से ढकती है। उसे ठंड नहीं लगनी चाहिए। मां ने उसे अच्छे से समझाया है कि छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम से बहुत तकलीफ होती है। उन्हें ठंड से अच्छी तरह से बचा कर रखना चाहिए।
अंश के साथ ही निशा की भी आंख लग जाती है। वो पुराने दिन कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला। जब मां हर दिन की तरह सुबह तड़के ही उठकर घर की पूजा_पाठ निपटा कर..घर के काम में लग जाती थी। इस बीच दादी कई बार ताने_उलाहने देती लेकिन मां बिना उफ्फ किए सबकी सेवा सत्कार करती रहती।...