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रिश्ता दिलों का ...भाग 2🌹🌹🌹
अगले दिन सुहानी जब नौकरी के लिए जाती है तो किस्मत से वे उसी ऑफिस में पहुंच जाती है जिस कंपनी का मालिक अक्षत होता है परंतु सुहानी को यह बात पता नहीं होती और और अक्षत सुहानी को देख लेता है अक्षत को पता होता है कि सुहानी वहां नौकरी करने के लिए आई है तो अक्षत अपने मैनेजर से कहकर सुहानी को जॉब दिलवा देता है अक्षत की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता क्योंकि सुहानी अब उसके सामने रहेगी अगले दिन सुहानी जब नौकरी पर आती है तो उसे पता चलता है कि उस ऑफिस का मालिक कोई और नहीं बल्कि अक्षत है सुहानी जॉब को छोड़ना चाहती है लेकिन अक्षत कहता है कि जब कोई भी इस कंपनी से जॉब छोड़ता है तो जॉब छोड़ने से पहले उसे 3 महीने का जॉब छोड़ने का ऑफर लेटर देना पड़ता है और अगर वह लेटर नहीं देता तो उस पर केस हो सकता है सुहानी के पास उस कंपनी में नौकरी करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था सुहानी की मजबूरी थी कि उस कंपनी में नौकरी करनी पड़ रही थी सुहानी अक्षत को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी परंतु इंटरनेट के जरिए दोनों की दोस्ती हो जाती है पर सुहानी को यह बात बिल्कुल भी पता नहीं होती है कि इंटरनेट पर जो इंसान उसका दोस्त है और नहीं बल्कि अक्षत ही है परंतु यह बात यह बात अक्षत को पता होती है कि जिस इंसान उसने दोस्ती की है यह कोई और नहीं बल्कि सुहानी है उन दोनों की दोस्ती गहरी होती चली जाती है वहीं दूसरी तरफ अक्षत सुहानी की हर मुसीबत में उसका साथ देता है तब सुहानी को एहसास होता है कि अक्षत बुरा नहीं बल्कि अच्छा इंसान हैं🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
© neha