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बच्चों का पढ़ाई में मन क्यों नहीं लगता?
बच्चों का पढ़ाई में मन क्यों नहीं लगता?:- अक्सर आपने देखा होगा कि बच्चे थोड़ी देर पढ़ते हैं फिर उनका मन (डॉ.श्वेता सिंह) भटकने लगता है। बच्चे 15 मिनट भी मन लगाकर नहीं पढ़ते हैं।उनको 15 मिनट भी भारी लगने लगते हैं। जब पढ़ाई को बोझिल समझा जाता है, तब पढ़ाई से जी चुराने लगते हैं बच्चे। बच्चों की परवरिश आसान नहीं है, सही तरीके से शिष्टाचार सिखाना जरूरी है। माता पिता अपने काम में इतने व्यस्त रहते हैं, कि बच्चों की ठीक ढंग से परवरिश नहीं कर पाते हैं। 1.बच्चों के लिए सबसे पहले तो टाइम टेबल का होना बहुत जरूरी है, निश्चित समय पर याद दिलाए अब पढ़ने का समय हो चुका है। 2. बच्चों के खेलने कूदने का भी समय निर्धारित करें। आजकल देखा जाता है कि बच्चों के अंदर दूसरों के प्रति सम्मान की भावना तो मानो जैसे खत्म ही हो गई हो क्योंकि अभिभावक अपने बच्चों को उनकी गलती पर डांटते नहीं फिर आगे चलकर यहीं बच्चे अपनी मनमानी करना शुरू कर देते हैं, फिर बच्चे अपनी जिद पूरी करवा कर ही मानते हैं। अभिभावक अपने बच्चों की इन हरकतों से ही डरना शुरू कर देते हैं कि हमारा बच्चा कहीं गलत कदम ना उठा लें। उनकी जिद पूरी करते करते यहीं बच्चे अपने माता-पिता पर आगे चलकर हावी होने लगते हैं। मान सम्मान करना तो दूर फिर आजकल के बच्चे तभी अभिभावकों, अध्यापकों का भी आदर नहीं करते। माता-पिता बच्चों को एक थप्पड़ मारने से भी डरते हैं। छोटी उम्र में ही बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा देते हैं। पढ़ाई से ध्यान भटकना तो लाजमी है ही। 3.माता-पिता को बच्चों के फोन पर निगरानी रखनी चाहिए। बच्चे फोन में देख क्या रहे हैं, बच्चे फोन में कर क्या रहे हैं? इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बच्चे फोन को जब अपना निजी समझ बैठते तो यहीं बात का फायदा उठाते हैं कि अब हमारा फोन निजी हो चुका हैं। बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लगेगा कैसे थोड़ी थोड़ी देर के बाद तो व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक देखते रहते हैं। 4. अभिभावककों की जिम्मेदारी है कि पढ़ाई करते समय बच्चों से फोन लेकर बंद करके अपने पास रखना रखें ताकि बच्चे फोन के आदि ना हो जाए। उनकी काम करने की आदत ना छूट जाए। अभिभावकों की खुद की लापरवाही बच्चों को गलत रास्ते पर लें जाती है। 5. कभी-कभी बच्चों की गलती होने पर डांटना भी जरूरी है, उन्हें सही गलत की पहचान जरूर करवाएं। पढ़ाई के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाएं अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाए काम करवाएं। 6. पढ़ाई का ज्यादा प्रेशर ना डालें बच्चों पर। 7.बच्चों के लिए समय सारणी का होना बहुत जरूरी है। बढ़ती उम्र के साथ अभिभावकों को ध्यान देना चाहिए कि बच्चे किन संगति में है, किन बच्चों के साथ खेलते कूदते है। 8. बच्चों को अपना समय जरूर दें ताकि वो अकेलापन महसूस ना करें। 9. अभिभावकों को बच्चों के बैग भी चेक करते रहने चाहिए। बच्चों से उनकी पढ़ाई से सम्बंधित बीच बीच में प्रश्न पूछते रहना चाहिए। ताकि बच्चों में लगे कि उनके अभिभावकों उन ध्यान केंद्रित करते हैं।(डॉ. श्वेता सिंह)
© Dr.Shweta Singh