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नया परिवार (part-1)
सुबह सूरज की जगमग किरण ऑफिस की बड़ी जलिदार खिड़की से टेबल पर फैली हुई थी । ओफिस मे कुछ तीन चार लोगो की बात चित चल रही है, पर्दे के पीछे छुपे चार साल के सनी को क्या पता की अब वो एक नई दुनिया मे जा रहा है, उसे नया परिवार मिल रहा हैं,
अनाथ आश्रम की मालिक एक बुढी औरत थी, जो Mr. ध्रुव तनेजा और उनकी पत्नी वानी को सनी के बारे मे बता रही थी, बारिश का मौसम था जब एक फटे पुराने कपड़े मे लिपटा 6 महीने का बच्चा कोई इस अनाथ आश्रम के सामने छोड़ गया था, लोगो को शर्म भी नही आता ऐसा नीच काम करते, वानी ने एक सहानुभूति वाले अंदाज़ से कहा। Mr. ध्रुव ने धड़ी की ओर देखा और कहा बच्चे को ले आईये। बुढी मा ने बड़े दुलार भरी आवाज़ में सनी को बुलाया, पहले तो सनी थोड़ा डरा फिर डरते डरते एक कदम आगे बढ़ाया, वानी सनी का चेहरा देखते ही मुस्कुराने लगी जैसे मोहित कर लिया हो, जाने क्यु ममता झलक रही थी उसकी आँखो से । जैसे कई अंधेरी रातों के बाद प्रभात की किरण दिखी ही। सनी, वानी के लिए वो किरन ही था जो उसे सात साल की अंधेरी रातों के बाद दिखा था। वानी ने उसे अपनी गोद मे लेकर कहा आप हमारे साथ हमारे घर चलेंगे। सनी एक बार बुढी मा को देखता तो एक बार वानी को। वानी ने उसे हल्के से कहा मेरे पास ढेर सारी choclates और toys हैं और मेरे पास colours भी है। सनी ने आँखे बड़ी करते हुए kaकहा "सचि आप के पास ढेर सारे colour हैं तो मैं आपके साथ चलूँगा अन्टि। वानी ने सनी को बोला लेकिन आपको मुझे आंटी नही मा बोलना होगा।
ध्रुव वानी को बस देखता जा रहा था अंत मे कहा 'खुश हो न तुम। वानी ने ध्रुव का हाथ जोर से पकड़ लिया और कहा' बहुत। ध्रुव और वानी ने कगजाति करीवाहि पूरे किये और सनी को घर ले गए अब देखते है सनी का नया परिवार कैसा होगा।
आगे की कहानी part-2 me
© Vvians( vaishnavi)