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गुरु की महत्ता
प्राचीन काल की बात है। यूनान में एक एथेंस नगर था। जहां दो महान दार्शनिक प्लेटो और अरस्तू रहा करते थे प्लेटो के शिष्य का नाम अरस्तु था। 1 दिन दोनों। शहर के बाहर कहीं दूसरे शहर जा रहे थे। रास्ते में एक नदी बड़ी नदी को पार कर के उस पार उस शहर में जाना था अब दोनों के लिए एक बहुत ही। बड़ी कठिनाई यह थी कि यह दोनों नदी को पार कैसे करें?
इत्तेफाक से दोनों के पास एक रस्सी थी प्लेटो ने अरस्तु से कहा। तुम यही ठहरो पे नदी के उस पार जा रहा हूं। अरस्तु ने प्लेटो की ओर देखा। और बोला। नहीं गुरुदेव पहले मैं उस पार जाऊंगा। प्लेटो की उस समय उम्र तकरीबन 60 साल थी जबकि अरस्तु की उम्र मात्र 24 साल थी काफी देर तक दोनों में इस अड़े रही कि पहले मैं और पहले मैं इस तरह विवाद करते रहे किंतु आखिर में अरस्तु लस्सी लेकर नदी में कूद पड़ा और प्लेट और नदी के किनारे रस्सी का एक चोर पकड़े हैं खड़े रहे। अरस्तु उस पर जाने के बाद गुरुदेव को भी अपने पास बुला लिया और साथ दोनों उस नगर के लिए निकल पड़े।
थोड़ी दूर जाने के बाद प्लेटो ने अरस्तु से पूछा कि अरस्तु तुम पहले क्यों नदी में कूद गए? अरस्तु ने नम्रता पूर्वक जवाब दिया गुरुदेव मामला यह है कि अगर अरस्तु नदी में डूब जाता तो इससे कोई नुकसान नहीं होता क्योंकि प्लेटो हजारों अरस्तु बना सकता है किंतु हजारों अरस्तु मिलकर एक प्लेटो नहीं बना सकते।