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दुर्गा पूजा
दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का लोकप्रिय महापर्व है।यह एक आकर्षक और खूबसूरत परंपरा है।यह महापर्व पांचवें नवरात्र से प्रारंभ होता है। इस दौरान भव्य पंडाल, पूजा की पवित्रता, रंगों की छटा, तेजस्वी चेहरे वाली देवियों, सिंदूर खेला, धुनुची नृत्य आदि चारों ओर नजर आते हैं।
पंडालों की भव्य और विशेष छटा कोलकाता और सम्पूर्ण पश्चिमी बंगाल को नवरात्र के दौरान खास बनातें हैं इस दौरान पश्चिमी बंगाल शक्ति के रंग में सराबोर हो जाता है। पश्चिम बंगाल के लिए दुर्गा पूजा से बड़ा कोई उत्सव नहीं है।
कोलकाता में नवरात्र के समय मां के महिषासुरमर्दिनी रूप की उपासना की जाती है। पंडालों में देवी मां की प्रतिमा महिषासुर का वध करते हुए बनाई जाती है।देवी जी की प्रतिमा के साथ अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा भी बनाईं जातीं हैं।इसे चाला कहा जाता है। देवी जी के हाथ में त्रिशूल होता है और चरणों मे में एक राक्षस पड़ा होता है जिसका नाम महिषासुर है
देवी के पीछे उनका पीला शेर भी खड़ा होता है। इसके साथ ही दांई ओर सरस्वती, कार्तिका और बांई ओर गणेश लक्ष्मी होते हैं,छाल पर शिव जी की लेटी हुई तस्वीर बनी होती है।
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