में खयाल कोई...!!!!
में खयाल कोई, तू कविता पुरानी लगती है...
मेरी आंखे किसी मेखाने सी लगती है।।
मेरे हर पल का सारांश, तेरी आस में सिमटती है...
में ख़ामोश ध्वनि, तू मेरी एक लौती आवाज़ लगती है।।
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मेरी आंखे किसी मेखाने सी लगती है।।
मेरे हर पल का सारांश, तेरी आस में सिमटती है...
में ख़ामोश ध्वनि, तू मेरी एक लौती आवाज़ लगती है।।
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