...

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स्वार्थ
हालांकि यह कोई कहानी तो नहीं है परंतु वास्तविकता बयां करती है।


हजारों आपके साथ हैं, आपकी सफलता पर।
तुम्हारी असफलता में केवल तुम हो।।


आपने कभी सोचा है कि जब आपको , अपने लोगों की ज्यादा जरूरत होती है तो वे आपका साथ नही देते क्यों ??

1- पहले वे व्यक्ति होते है जो आपसे सामाजिक रूप से जुड़े होते है। वे व्यक्ति या तो आपसे अपना सारा मतलब निकाल चुके होते हैं या यूं कह लो कि वे अब स्वार्थी हो चुके हैं ऐसे लोगों से अपनी मदद के लिए सोचना वेवकूफी है।

2- ये वे अपने है जिनसे अपना खून का रिश्ता होता,
वास्तव मे जब कोई आपका साथ नही देता है तो वो हमें एक पाठ सीखा देता है,,,,,जिसे हम आम भाषा मैं #तजुर्बा कहते हैं।
ये सामाजिक कुरीति एक सामान्य से प्राणी को एक परिपक्व सामाजिक प्राणी बनाने में काफी लाभदायक होती है।
जब आप ऐसी परिस्थिति मैं हैं कि आपको किसी अपने की जरूरत है और वो आपका सहयोग नहीं कर रहा और आप यदि उस परिस्थिति से सकुशल निकल आते है तो मेरा मानना है कि जीवन में उससे सफल व्यक्ति कोई नही होगा। जिंदगी का यही पड़ाव हमे तजुर्बा देता है अपने दम पर जिंदगी जीने का ।

किसीने सही ही कहा है कि "मुसीबत तो पल भर की होती है परंतु एहसान जिंदगी भर का"।

किसी ने क्या खूब लिखा है-
तभी तक पूछे जाओगे जब तक काम आओगे।
चिरागों के जलते ही, अक्सर बुझा दी जाती हैं तीलियाँ।।