अशुभ मुहूर्त
"माता जी इस बच्ची का जन्म अशुभ मुहूर्त में हुआ हैँ, आपके परिवार पे घोर संकट आने वाला हैँ मेरी माने तो इसे जल में प्रवाहित कर दें " |पंडित जी ने बच्ची की दादी से कहा |
"पंडित जी कोई पूजा -पाठ?"
"पूजा पाठ तो हैँ लेकिन इससे पूर्णतः संकट नहीं टलने वाला!"
"मेरे बेटा -बहु इन सब बातों पे यकीन नहीं करते मैं क्या करुँ?"
"देखिए माता जी, मैंने कुंडली में जो बातें थी वो बता दी | बाकि आप लोग आपस में विचार विमर्श करके फैसला लीजियेगा "| पंडित जी को प्रणाम करके सुशीला जी घर लौट आयी, बहु बच्ची की मालिश कर रही थी और बड़े ही प्यार से लोरी गुनगुना रही थी |
सुशीला जी की आँखे भर आयी|
अशोक और सुशीला अधेड़ उम्र के दम्पति हैँ|उनके दो बच्चे सौरभ और सुरभि, दोनों की शादी हो चुकी थी | सौरभ की पत्नी श्रद्धा सरकारी टीचर थी |
सब हंसी खुशी रह रहे थे |
सुशीला जी पूजा - पाठ के साथ साथ कुंडली, राशी, ग्रह नक्षत्र में बहुत विश्वास रखती थी |
पंडित जी की बातें उनके जहन में घूम रही थी |
पहले बहु से ही बात कर लू सोच सुशीला जी हिम्मत जुटा कर श्रद्धा के पास जा के बैठी वो कुछ कहती
उससे पहले ही श्रद्धा चहक कर बोली.". माँ जी मैंने इसका नाम राध्या सोचा हैँ आपको कोई और नाम पसंद हो तो बताओ "|
उसने सुशीला जी की ओर देखा, वो गंभीर दिख रही थी |
"माँ जी क्या बात हैँ " उनकी गहरी ख़ामोशी बता रही थी की कोई गंभीर बात हैँ |
सुशीला जी ने पंडित जी द्वारा बताई गई सारी बातें बता दी |
"माँ जी मैं अपनी बच्ची का त्याग नहीं कर सकती आप जो भी पूजा -पाठ...
"पंडित जी कोई पूजा -पाठ?"
"पूजा पाठ तो हैँ लेकिन इससे पूर्णतः संकट नहीं टलने वाला!"
"मेरे बेटा -बहु इन सब बातों पे यकीन नहीं करते मैं क्या करुँ?"
"देखिए माता जी, मैंने कुंडली में जो बातें थी वो बता दी | बाकि आप लोग आपस में विचार विमर्श करके फैसला लीजियेगा "| पंडित जी को प्रणाम करके सुशीला जी घर लौट आयी, बहु बच्ची की मालिश कर रही थी और बड़े ही प्यार से लोरी गुनगुना रही थी |
सुशीला जी की आँखे भर आयी|
अशोक और सुशीला अधेड़ उम्र के दम्पति हैँ|उनके दो बच्चे सौरभ और सुरभि, दोनों की शादी हो चुकी थी | सौरभ की पत्नी श्रद्धा सरकारी टीचर थी |
सब हंसी खुशी रह रहे थे |
सुशीला जी पूजा - पाठ के साथ साथ कुंडली, राशी, ग्रह नक्षत्र में बहुत विश्वास रखती थी |
पंडित जी की बातें उनके जहन में घूम रही थी |
पहले बहु से ही बात कर लू सोच सुशीला जी हिम्मत जुटा कर श्रद्धा के पास जा के बैठी वो कुछ कहती
उससे पहले ही श्रद्धा चहक कर बोली.". माँ जी मैंने इसका नाम राध्या सोचा हैँ आपको कोई और नाम पसंद हो तो बताओ "|
उसने सुशीला जी की ओर देखा, वो गंभीर दिख रही थी |
"माँ जी क्या बात हैँ " उनकी गहरी ख़ामोशी बता रही थी की कोई गंभीर बात हैँ |
सुशीला जी ने पंडित जी द्वारा बताई गई सारी बातें बता दी |
"माँ जी मैं अपनी बच्ची का त्याग नहीं कर सकती आप जो भी पूजा -पाठ...